45 किलोमीटर की रेल लाइन में 14 सुरंग और 22 पुल, अंडरग्राउंड होगा पूरा रेलवे स्‍टेशन, इस राज्‍य में पहली बार चलेगी ट्रेन...

45 किलोमीटर की रेल लाइन में 14 सुरंग और 22 पुल, अंडरग्राउंड होगा पूरा रेलवे स्‍टेशन, इस राज्‍य में पहली बार चलेगी ट्रेन...


Sikkim Railway Station : करीब 49 साल के इंतजार के बाद देश के पूर्वोत्‍तर राज्‍य सिक्किम में पहली बार ट्रेन दौड़ने का सपना पूरा होने जा रहा है. इस राज्‍य में 45 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक को बिछाने का काम भी लगभग पूरा हो गया है और रेलवे स्‍टेशन का निर्माण कार्य भी करीब-करीब पूरा हो चुका है.

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मामले से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि सिक्किम तक 45 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाने का काम अगस्‍त, 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा. अभी सिक्किम से सबसे नजदीक रेलवे स्‍टेशन जलपाईगुड़ी है, जबकि सिक्किम राज्‍य में एक भी रेलवे ट्रैक नहीं है और न ही वहां आजतक ट्रेन दौड़ी है. सिवोक-रांगपो रेल प्रोजेक्‍ट पर काम अक्‍टूबर, 2009 में शुरू किया गया था.

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यह रेलवे प्रोजेक्‍ट पश्चिम बंगाल के सिवोक से शुरू होकर सिक्किम के रांगपो तक जाएगा. इस प्रोजेक्‍ट में देरी का सबसे बड़ा कारण एलीफैंट सैंक्‍चुरी की वजह से इनवॉयरमेंट क्‍लीयरेंस की मुश्किलें थी. इस प्रोजेक्‍ट में कुल 5 रेलवे स्‍टेशन बनाए जाएंगे. ट्रैक के कुल लेंथ का ज्‍यादातर हिस्‍सा पश्चिम बंगाल में है, जबकि महज 3 किलोमीटर का हिस्‍सा ही सिक्किम में पड़ता है.


इस रेलवे प्रोजेक्‍ट में बनने वाले 5 स्‍टेशन में से एक तीस्‍ता बाजार रेलवे स्‍टेशन अपने आप में बहुत खास है. यह देश का पहला अंडरग्राउंड रेलवे स्‍टेशन भी है. यह रेलवे स्‍टेशन टनल संख्‍या 7 के पास बनाया जा रहा है. इस रेलवे स्‍टेशन के प्‍लेटफॉर्म की लंबाई 620 मीटर है, जबकि टनल की कुल लंबाई 650 मीटर रखी गई है. इसका मतलब है क‍ि इस टनल में पूरी ट्रेन समा सकती है.

यह रेलवे प्रोजेक्‍ट कई मायनों में खास माना जा रहा है. इसकी लंबाई भले ही 45 किलोमीटर के आसपास है, लेकिन इतनी सी दूरी को नापने के लिए 14 सुरंगें बनाई गई हैं, जिसमें से 10 टनल पूरी तरह तैयार हो चुकी है. इस ट्रैक पर 22 ब्रिज भी बनाए गए हैं, जिसमें से 13 ब्रिज बड़े हैं, जबकि 9 पुल छोटे बनाए गए हैं. रूट पर बनाए गए टनल में से सबसे लंबी सुरंग 5.3 किलोमीटर है, जबकि सबसे छोटी वाली 538 मीटर की है.

इस रेलवे ट्रेक पर कुल 13 बड़े ब्रिज में से 12 तो लगभग तैयार भी हो चुके हैं. ब्रिज संख्‍या 17 को सबसे ऊंचाई पर बनाया गया है, जो करीब 85 मीटर ऊंचा है. चौंकाने वाली बात ये है कि इस प्रोजेक्‍ट का 86 फीसदी हिस्‍सा टनल से गुजरता है, जबकि 5 फीसदी ब्रिज से जाता है. पहले इसकी लागत 4 हजार करोड़ रुपये थी और अब यह 12 हजार करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा पहुंच गई है.

इस प्रोजेक्‍ट की डिटेल देखें तो पता चलता है कि इसकी कुल लंबाई 44.96 किलोमीटर है. इस पूरे प्रोजेक्‍ट में से 86 फीसदी यानी 38.65 किलोमीटर की दूरी सिर्फ टनल से ही तय होती है, जबकि 5 फीसदी यानी 2.24 किलोमीटर का हिस्‍सा ब्रिज से गुजरेगा और 9 फीसदी यानी 4.69 किलोमीटर का ट्रैक जमीन से होकर गुजरेगा.

इस रेलवे प्रोजेक्‍ट के पूरा होने के बाद गंगटोक और दार्जिलिंग जाने वाले सैलानियों के लिए काफी आसानी हो जाएगी. दरअसल, यह प्रोजेक्‍ट दार्जिलिंग से महज 21 किलोमीटर की दूरी पर है और यहां से हिल स्‍टेशन जाना काफी आसान हो जाएगा. इतना ही नहीं, राजधानी गंगटोक जाने के लिए भी अब सड़क मार्ग से लंबा सफर नहीं करना पड़ेगा.





Edited by k.s thakur...


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