चीन के खिलाफ ब्रह्मोस का 'चक्रव्यूह' हो रहा तैयार, फिलीपींस के बाद वियतनाम भी खरीदने को है तैयार...

चीन के खिलाफ ब्रह्मोस का 'चक्रव्यूह' हो रहा तैयार, फिलीपींस के बाद वियतनाम भी खरीदने को है तैयार...


BRAHMOS MISSILE SYSTEM: दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस का दयारा बढ़ रहा है. दुनिया के तमाम देश अपने जखीरे में इसे शामिल कर लेना चाहते है. धीरे धीरे इसकी फेहरिस्त लंबी हो रही है. फिलीपिंस के बाद अब दूसरा नंबर है वियतनाम का. रिपोर्ट के मुताबिक वियतानम के साथ ब्रह्मोस की डील अपने एडवांस स्टेज पर है. 

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इस साल इस डील की होने की संभावना जताई जा रही है. फिलीपींस की तर्ज पर ही वियतनाम भी ब्रह्मोस की कोस्टल बैटरी की खरीद करना चाहती है. यानी की चीन के किसी भी वॉरशिप को साउथ चाईना सी में 300 किलोमीटर के दायरे में निशाना बना सकती है.

फिलीपींस को हुए डिलिवर बाकी देश हैं कतार में
फिलीपींस ने भारत के साथ 375 मिलियन डॉलर में तीन मिसाइल बैटरी का करार किया था. फिलीपींस को ब्रह्मोस की सप्लाई भी शुरू हो चुकी है.अब वियतनाम के साथ भी करार अंतिम चरण में बताए जा रहे हैं. इंडोनेशिया के साथ भी ब्रह्मोस डील पर बात जारी है.यह डील भी 450 मिलियन डॉलर करीब का बताया जा रहा है.इसके अलावा सेंट्रल एशिया, साउथ अमेरिका के कई देशों के साथ साथ मिडिल ईस्ट के देश  भी ब्रह्मोस की खरीद की इच्छा जता चुके है.

MTCR का सदस्य बनने के बाद ब्रह्मोस निर्यात आसान
भारत ने 2016 भारत मिसाइल टेक्‍नोलॉजी कंट्रोल रिजीम का सदस्य बना. उसके बाद से भारत ने ब्रह्मोस की रेंज को बढ़ाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है. MTCR एक ऐसी संस्था है जो कि लॉंग रेंज मिसाइल या लॉंग रेंज ड्रोन के प्रसार को कंट्रोल करती है. अंतरराष्‍ट्रीय कानून के तहत कोई भी देश 300 किलोमीटर से ज्यादा मार करने वाली मिसाइल को दूसरे देश को नहीं बेच सकता.

भारत और रूस ने जब साझा डेवलपमेंट करते हुए ब्रह्मोस बनाया था तो इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर रखी गई थी. जैसे ही 2016 में MTCR का सदस्य बना तो भारत के लिये ब्रह्मोस की रेज को बढ़ाने के रास्ते खुल गए. रूस अब आधिकारिक तौर पर ब्रह्मोस की रेंज को बढ़ाने के लिए भारत की मदद कर रहा है.

रेंज होगी 600 km पार
ब्रह्मोस की रेंज को 290 किलोमीटर से आगे बढ़ाने का काम जारी है. इसे 400 से 600 किलोमीटर मारक क्षमता देने के लिए भारतीय वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. हाल ही में भारतीय वायुसेना ने सुखोई लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज का सफल परिक्षण किया था. इसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर से ज्यादा थी. 

दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम अगर उन देशों की सेना में शामिल हो जाता है जिनकी समुद्री सीमा से होते हुए चीनी एनर्जी ट्रेड आगे बढ़ता है तो यह चीन के लिए किसी दम घोंटने वाली स्थिति से कम नहीं होगा.

चीन के लिए खतरे की घंटी
साउथ चाइना सी और उसके आसपास के देशों को चीन धमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता. उनके एक्सक्‍लूसिव इकॉनोमिक जोन यानी EEZ में भी अपना कब्जा करता रहता है. फिलीपींस के साथ चीन के रिश्ते 2009 के बाद से और खराब हो गए. 

चीन ने नया नक्शा जारी किया जिसमें साउथ चाइना सी में 9 डैश लाइन लगाकर अपना इलाका बता दिया. इसके तहत फिलीपींस के द्वीपों और EEZ का हिस्सा भी आता है. चीन के हिसाब से पर कब्जा जताने के लिए फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान और मलेशिया के समुद्री क्षेत्र पर कब्जे की संकट बढ़ गया है. अब ब्रह्मोस कवच चीन के खतरे से इन देशों को बचा सकता है.



Edited by k.s thakur...



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