New delhi : कानून महज एक 'एल्गोरिदम' नहीं, जस्टिस सूर्यकांत ने AI को लेकर कहा- टेक्नोलॉजी मानव मस्तिष्क के लिए मददगार हो...
नई दिल्ली. भारत के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत ने रविवार को कहा कि देश में न्यायपालिका ने अनुसंधान, प्रतिलेखन और डेटा विश्लेषण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित उपकरणों की खोज शुरू कर दी है...
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लेकिन इस मार्गदर्शक सिद्धांत के साथ कि प्रौद्योगिकी को मानव मस्तिष्क की विवेकशीलता को बढ़ाना चाहिए, न कि उसका स्थान लेना चाहिए. जस्टिस सूर्यकांत ने वाणिज्यिक अदालतों के स्थायी अंतरराष्ट्रीय मंच (एसआईएफओसीसी) की छठी पूर्ण बैठक के समापन समारोह को संबोधित...
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करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कानून का भविष्य इस बात पर निर्भर है कि क्या प्रौद्योगिकी को एक ऐसे उपकरण के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है, जिसमें बिना मानवता को त्यागे न्याय मूल में रहे.
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उन्होंने कहा कि न्याय प्रदान करने में पहुंच, दक्षता और विश्लेषणात्मक परिशुद्धता में सुधार लाने में एआई की अपार संभावनाएं हैं और वाणिज्यिक एवं अपीलीय न्यायालयों में एआई के जिम्मेदाराना उपयोग के लिए एक व्यावहारिक ढांचा विकसित करने का विचार व्यावहारिक एवं आवश्यक है.
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जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “आखिरकार, कानून महज एक ‘एल्गोरिदम’ नहीं है, बल्कि यह मानवीय विवेक का प्रतिबिंब है, जो सहानुभूति, नैतिक तर्क और संदर्भ की समझ से आकार लेता है, जिसका स्थान मशीनें नहीं ले सकतीं.”
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Edited by k.s thakur...







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