ISRO news : चंद्रयान-2 ने खोले चांद के राज! खोज निकाला कहां है बर्फ और कहां है सतह, ISRO ने आम लोगों के लिए खोला खजाना...

ISRO news : चंद्रयान-2 ने खोले चांद के राज! खोज निकाला कहां है बर्फ और कहां है सतह, ISRO ने आम लोगों के लिए खोला खजाना...


New delhi : Chandrayaan-2: चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से चांद की परिक्रमा करते हुए उसकी सतह का हाई-रेजोल्यूशन डेटा भेज रहा है. 

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ISRO ने अब इस रडार डेटा को सार्वजनिक किया है, जिससे वैज्ञानिकों को चांद पर बर्फ, सतह की बनावट और मिट्टी की विद्युत विशेषताओं की जानकारी मिलेगी. ये जानकारी भविष्य के चांद मिशनों के लिए बेहद अहम है.

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चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से लगातार चांद की परिक्रमा कर रहा हैइस दौरान उसने चांद की सतह से जुड़ी ढेर सारी अहम जानकारियां भेजी हैंइसी मिशन का एक खास हिस्सा है  डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर रडार (DFSAR)

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यह रडार अब तक का सबसे एडवांस उपकरण माना जा रहा है क्योंकि यह ऊर्ध्व (vertical) और क्षैतिज (horizontal) दोनों दिशाओं में सिग्नल भेजकर और रिसीव करके सतह का पूरा नक्शा तैयार करता है.
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इस रडार ने पहली बार L-बैंड तकनीक का इस्तेमाल करके चांद की सतह की फुल पोलारिमेट्रिक मैपिंग की है. इसका मतलब यह है कि चांद की सतह को बहुत ज्यादा डिटेल और गहराई में स्कैन किया गया है करीब 25 मीटर प्रति पिक्सेल की हाई रेजोल्यूशन में.
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चांद के ध्रुवों की बनाई गई मोजेक तस्वीरें..
ISRO ने बताया है कि लॉन्च के बाद से अब तक इस रडार ने करीब 1400 डेटा सेट्स जुटाए हैं. इन आंकड़ों को प्रोसेस करके वैज्ञानिकों ने चांद के उत्तर और दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्रों (80 से 90 डिग्री अक्षांश) की बड़ी-बड़ी पोलारिमेट्रिक मोजेक तस्वीरें बनाई हैं.

अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) के वैज्ञानिकों ने इन आंकड़ों का इस्तेमाल करके यह पता लगाया कि

कहां पानी की बर्फ जमा हो सकती है,

सतह कितनी खुरदरी या चिकनी है,

और चांद की मिट्टी की घनत्व और खालीपन (porosity) कितनी है.

वैज्ञानिकों ने बताया कि इन सबका विश्लेषण करने के लिए जो एल्गोरिदम और डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम तैयार किया गया है, वो पूरी तरह भारत में, ISRO की टीम ने खुद बनाया है.

क्यों खास हैं ये जानकारियां..
वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद के ध्रुवीय इलाकों को लेकर यह पहली बार इतनी डिटेल जानकारी मिली है. माना जाता है कि चांद के ये हिस्से आज भी सौरमंडल के शुरुआती रासायनिक हालातों को अपने अंदर संजोए हुए हैं. यानी ये इलाके हमें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि ग्रहों की शुरुआत कैसे हुई और समय के साथ उनमें क्या बदलाव आए.

इसरो का कहना है कि ये डेटा प्रोडक्ट्स भविष्य के चांद अभियानों में बेहद काम आएंगे. इससे वैज्ञानिक यह तय कर पाएंगे कि चांद पर आगे कहां लैंडिंग की जा सकती है, कहां बर्फ या पानी के अंश मिल सकते हैं और सतह कितनी मजबूत है.

क्या मिला रडार की मदद से..
इन मोजेक तस्वीरों में कई अहम पैरामीटर शामिल किए गए हैं जो चांद की सतह और उसके नीचे की परतों की असली पहचान बताते हैं

Circular Polarization Ratio (CPR): यह बताता है कि जिस जगह यह मान ज्यादा है, वहां पानी की बर्फ की संभावना हो सकती है.

SERD (Single bounce Eigenvalue Relative Difference): यह पैरामीटर चांद की सतह की खुरदरापन दिखाता है.

T-Ratio: इससे पता चलता है कि वहां की मिट्टी की विद्युत क्षमता (dielectric property) कैसी है.

Polarimetric Decomposition: इससे वैज्ञानिक समझ पाते हैं कि रडार की तरंगे सतह से कैसे टकराकर वापस आईं — सीधी, टेढ़ी या कई दिशाओं से.

आम लोगों के लिए भी खुला डेटा..
ISRO ने अब इस पूरे डेटा को लेवल-3फॉर्मेट में तैयार करके सबके लिए जारी कर दिया है. यानी अब कोई भी वैज्ञानिक या रिसर्चर इन आंकड़ों का इस्तेमाल कर सकता है. यह डेटा भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा केंद्र (ISSDC) की PRADAN वेबसाइट पर मुफ्त में उपलब्ध है.





Edited by k.s thakur...

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