US parcel service : ₹2500 के सामान पर ₹17000 चार्ज, भारत ने यूं ही नहीं रोकी अमेरिका को डाक पार्सल सेवा...

US parcel service : ₹2500 के सामान पर ₹17000 चार्ज, भारत ने यूं ही नहीं रोकी अमेरिका को डाक पार्सल सेवा...


डोनाल्‍ड ट्रंप ने 1930 के दशक से लागू “डि मिनिमिस छूट” को खत्‍म कर दिया है. इस छूट की वजह से अमेरिका आयातित छोटे मूल्य के सामान पर सीमा शुल्क लगता था. 2016 में बराक ओबामा सरकार ने इसकी सीमा 200 डॉलर से बढ़ाकर 800 डॉलर कर दी थी.

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नई दिल्‍ली. भारत ने सोमवार से अमेरिका के लिए अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं रोकने की घोषणा है. भारतीय डाक विभाग ने कहा है कि केवल पत्र, दस्तावेज़ और 100 डॉलर से कम मूल्य के उपहार ही अमेरिका भेजे जा सकेंगे. 

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भारत, फ्रांस, ब्रिटेन और कई यूरोपीय भी अमेरिका को डाक सेवाएं अस्थायी रूप से रोक चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका के लिए दुनियाभर के देश धड़ाधड़ डाक सेवाएं क्‍यों रोक रहे हैं? भारत सहित दुनिया के अन्‍य देशों द्वारा अमेरिका को डाक सेवाएं रोकने के पीछे की वजह है टैरिफ. नए टैरिफ 29 अगस्त 2025  लागू होंगे.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए और लगभग सौ साल पुरानी “डि मिनिमिस छूट” खत्म कर दी. इस छूट के तहत अमेरिका पहुंचने वाले 800 डॉलर तक के सामान पर कोई शुल्‍क नहीं लगाया जाता था. लेकिन, अब अमेरिका में प्रत्येक पार्सल पर टैरिफ संबंधित देश के व्यापारिक संबंध के आधार पर तय होगा.
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पार्सल पर भारी भरकम शुल्‍क..


नए नियमों के तहत लगभग सभी पार्सलों पर भारी शुल्क लगेगा, जिससे डाक ऑपरेटर और निर्यातक दोनों परेशान हैं. भारतीय डाक विभाग का कहना है कि अमेरिकी कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) से स्पष्ट दिशा-निर्देश न मिलने के कारण उसे अमेरिका को डाक पार्सल सेवाएं बंद करने का फैसला करना पड़ा है. 
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अमेरिका द्वारा बनाए गए नए नियमों के अनुसार, 15% तक टैरिफ वाले देशों के पार्सल पर 80 डॉलर अतिरिक्त शुल्क. 16% से 25% टैरिफ वाले देशों के पार्सल पर 160 डॉलर अतिरिक्त शुल्क. 25% से ज्यादा टैरिफ वाले देशों के पार्सल पर 200 डॉलर अतिरिक्त शुल्क. 

इसका मतलब है कि भारत से गए एक 30 डॉलर (लगभग ₹2,620) रुपये के पार्सल पर 17500 रुपये टैरिफ के रूप में चुकाना पड़ सकता है, क्‍योंकि भारत पर अमेरिका ने 25 फीसदी से ज्‍यादा टैरिफ लगाया है.

क्‍या है डि मिनिमिस छूट..


नियम 1930 के दशक में लागू हुआ था, ताकि छोटे मूल्य के सामान पर सीमा शुल्क न लगे. 2016 में बराक ओबामा सरकार ने इसकी सीमा 200 डॉलर से बढ़ाकर 800 डॉलर कर दी थी. इस छूट ने छोटे व्यवसायों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी थी. 

ट्रंप प्रशासन ने इस वर्ष मई में ही चीन और हांगकांग को इस छूट से बाहर कर दिया था. अब 29 अगस्त से यह छूट सभी देशों के लिए खत्म हो जाएगी. इसके बाद लगभग हर पार्सल अमेरिकी सीमा शुल्क के दायरे में आएगा.

छोटे कारोबारियों पर बड़ा असर..


डाक पार्सल पर भारी-भरकम टैरिफ भारतीय निर्यातकों, खासकर छोटे व्यापारियों और ई-कॉमर्स विक्रेताओं के लिए को बहुत बुरी तरह प्रभावित करेंगे. वे सस्ते और हल्के पार्सलों के जरिए अमेरिकी बाजार तक पहुंच बनाते थे. 

अब 20 डॉलर या 30 डॉलर का सामान भी 80 डॉलर के शुल्क में फंस सकता है. इससे उनका मुनाफा घटेगा और कई व्यापारियों को अपने दाम बढ़ाने या अमेरिका को सामान भेजना बंद करने पर मजबूर होना पड़ सकता है.

अमेरिका के खरीदारों पर भी असर होगा. उन्हें अब डिलीवरी में देरी और ज्यादा लागत का सामना करना पड़ सकता है. पहले जो सामान बिना शुल्क के पहुंचता था, अब उस पर भारी टैक्स लग सकता है. इससे उन्‍हें सामान महंगा मिलेगा.






Edited by k.s thakur...

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