'गलती हुई', राहुल गांधी ने पूरे OBC समाज से माफी मांगी, क्या यह पिता राजीव गांधी के 1990 वाले बयान के लिए?
Rahul Gandhi OBC Politics: राहुल गांधी ने ओबीसी समुदाय से माफी मांगते हुए स्वीकारा कि कांग्रेस ने उनके मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया. यह माफी 1990 में राजीव गांधी के मंडल विरोधी रुख के लिए भी मानी जा सकती है. राहुल ने जातिगत जनगणना का समर्थन कर सामाजिक न्याय की नई राह पकड़ी है.
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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को अपनी और पार्टी की एक ‘गलती’ बताई. ओबीसी समाज से ‘माफी’ मांगते हुए, राहुल ने स्वीकार किया कि कांग्रेस और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से, पिछड़े वर्गों के लिए उतना काम नहीं किया जितना किया जाना चाहिए था.
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तालकटोरा स्टेडियम में हुए ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में राहुल की माफी ने इतिहास के कुछ पुराने पन्ने भी खोल दिए. राहुल की यह ‘माफी’ एक आत्ममंथन का नतीजा लग सकती है, लेकिन बात थोड़ी गहरी है. क्या राहुल ने अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के स्टैंड को भी ‘गलत’ मानते हुए माफी मांगी है?
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क्या राहुल का यह बयान 1990 में मंडल आयोग के विरोध में दिए गए राजीव के बयान के लिए भी अप्रत्यक्ष माफी थी? राजीव ने तब ओबीसी आरक्षण का खुलकर विरोध किया था.
मुझसे गलती हुई, हम समझ नहीं पाए: राहुल गांधी..
राहुल ने शुक्रवार को कहा, ‘मैं 2004 से राजनीति में हूं. अब जब पीछे देखता हूं तो पाता हूं कि आदिवासी, दलित, महिलाओं के मुद्दों पर मैंने सही काम किए, लेकिन ओबीसी वर्ग को लेकर मुझसे और कांग्रेस से गलती हुई.’ उन्होंने यह भी माना कि ओबीसी की चुनौतियां सतह पर दिखती नहीं हैं और इसीलिए उन्हें पहले गहराई से समझ नहीं पाए.
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर उन्हें ओबीसी की समस्याएं पहले समझ में आई होतीं तो वो बहुत पहले जातिगत जनगणना करवा देते. साथ ही यह भी जोड़ा कि अब वे इस ऐतिहासिक गलती को सुधारने के लिए तैयार हैं.
क्या ये माफी राजीव गांधी के बयान के लिए भी थी?
90 के दशक में, वी.पी. सिंह सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया. इसके तहत, ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने का फैसला हुआ. तब राजीव गांधी ने संसद में इसका पुरजोर विरोध किया था.
उन्होंने कहा था कि इससे समाज में विभाजन बढ़ेगा. उनके इस रुख से कांग्रेस की छवि ओबीसी समाज में कमजोर हुई. पार्टी को इसका राजनीतिक खामियाजा उत्तर भारत में भुगतना पड़ा.
कांग्रेस और जातिगत जनगणना : इनकार से इकरार की कहानी..
जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस का रुख अतीत में क्लियर नहीं रहा है. 2010 में जब इस मुद्दे पर बहस हुई थी, तब भी कांग्रेस की यूपीए सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया. हालांकि, 2006 में UPA-1 सरकार ने OBC आरक्षण को मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों जैसे AIIMS और IITs में लागू किया, लेकिन जाति आधारित जनगणना जैसे ऐतिहासिक कदम से पार्टी पीछे हटती रही.
अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना की दिशा में पहल की है, राहुल गांधी और विपक्ष इसे सामाजिक न्याय का मुद्दा बनाकर जनता के सामने पेश कर रहे हैं.
राहुल गांधी की यह माफी केवल एक चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि कांग्रेस के पुराने रुख से दूरी बनाने की एक कोशिश मालूम होती है. यह माफी उनकी है, लेकिन यह उनके पिता के अतीत के उस राजनीतिक रुख को ‘रीसेट’ करने की कोशिश भी है, जिसने ओबीसी समाज को कांग्रेस से दूर कर दिया था.
डेटा की राजनीति और राहुल गांधी..
राहुल गांधी ने सम्मेलन में तेलंगाना में हुई जाति जनगणना का हवाला देते हुए कहा कि 21वीं सदी डेटा की है. जब आपके पास आंकड़े होते हैं, तभी आप न्याय सुनिश्चित कर सकते हैं. उन्होंने दावा किया कि मनरेगा से लेकर गिग वर्कर तक, सारे काम करने वाले लोग एससी, एसटी, ओबीसी हैं, लेकिन जब ‘हलवा समारोह’ में बजट तैयार किया जा रहा होता है, तब वहां उनकी कोई मौजूदगी नहीं होती.
Edited by k.s thakur...





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