भारतीय सेना में शामिल हुआ FPV ड्रोन, सेना के अफसर ने बनाई तकनीक, अब चीन और पाकिस्तान की खैर नहीं...
FPV DRONE BY INDIAN ARMY: तकनीक की लड़ाई में भारत ने भी खुद को साबित करना शुरू कर दिया है. अपनी जरूरतों के हिसाब अपने हथियार भी तैयार किए जा रहे है. सेना भी अपने अलग अलग इनोवेशन प्रोजेक्ट बना रही है.
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और उसे सेना में शामिल भी कर रही है. इसका सबसे ताजा तस्वीर है FPV ड्रोन. सेना ने इसकी पहली झलक इसी साल मार्च में दिखाई थी. इसमें ड्रोन 400 ग्राम के विस्फोटक के साथ अपने टार्गेट पर निशाना साध रही थी.
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ऑपरेशन सिंदूर में चीन और पाकिस्तान की तकनीक को एक साथ धूल चटाई. एंटी ड्रोन सिस्टम ने एक भी अटैक को सफल नहीं होने दिया. भारत की स्वदेशी कंपनियां तो झंडे गाड़ ही रही हैं, सेना भी कोई कसर नहीं छोड़ रही. आज के दौर के सबसे खतरनाक ड्रोन को भारतीय सेना ने तैयार कर दिया है.
सेना ने बनाया है FPV ड्रोन यानी फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन. भारतीय सेना के 9 कोर की फ्लूर-डी-लिस ब्रिगेड ने टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) चंडीगढ़ के साथ मिलकर इसे विकसित किया. इसके कई सफल परीक्षण किए गए और नतीजा जबरदस्त था. इसके बाद सेना में इसे शामिल भी कर लिया गया.
400 ग्राम विस्फोटक के साथ यह आसानी से किसी भी टार्गेट को निशाना बना सकता है. रूस के एयरबस पर किए हमले ने एक बार फिर से FPV ड्रोन की ताकत को साबित कर दिया. एसिमेट्रिक वॉरफेयर के दौर में यह ड्रोन बेहद खास और कारगर है। भारतीय सेना ने जो FPV ड्रोन बनाया है वह कामिकाजी एंटी टैंक म्यूनिशन से लैस है. भारतीय सेना में यह अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है.
ड्रोन नॉन-कॉन्टेक्ट वॉरफेयर के दौर में लॉन्ग रेंज वेपन से ज्यादा मफीद है ड्रोन. महज 500 डॉलर के एक FPV ने करोड़ों के एयरक्राफ्ट को नष्ट कर दिया. इसे कहते हैं एसिमेट्रिक वॉरफेयर. इसके अलावा अगर किसी ड्रोन अटैक को रोकने के लिए बड़े एयर डिफेंस मिसाइल का इस्तेमाल किया जाए तो भी यह महंगा सौदा साबित होता है. FPV की खासियत यह है कि ड्रोन टार्गेट को दूर से लॉन्च किए जा सकते हैं और महज कुछ किलोमीटर दूर से ऑपरेट भी किए जा सकते हैं.




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