अब फर्जी वोटरों की खैर नहीं.. बिहार में चलेगा EC का डंडा, विधानसभा चुनाव से पहले घर-घर होगी जांच...

अब फर्जी वोटरों की खैर नहीं.. बिहार में चलेगा EC का डंडा, विधानसभा चुनाव से पहले घर-घर होगी जांच...


Election Commission: भारत निर्वाचन आयोग मतदाता सूची से फर्जी नामों को हटाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है. पात्र नागरिकों की पहचान के लिए दस्तावेजों का पुनः सत्यापन किया जाएगा. इसके लिए घर-घर जांच अभियान शुरू होने वाला है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत बिहार से इसकी शुरुआत होगी.

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पटना/नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग मतदाता सूची में वास्तविक और पात्र नागरिकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए एक बड़े कदम की तैयारी कर रहा है. आयोग अब मतदाता सूची से फर्जी नामों और अयोग्य व्यक्तियों को हटाने के लिए दस्तावेजों के पुनः सत्यापन और घर-घर जाकर जांच अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है. 

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यह कवायद सबसे पहले बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले लागू की जाएगी, जिसे बाद में पूरे देश में अपनाया जा सकता है.चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में केवल वही नाम हों जो भारतीय नागरिक हों, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के हों और किसी भी कानूनी कारण से अयोग्य न घोषित किए गए हों. 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 के तहत केवल पात्र नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल किए जा सकते हैं.

बढ़ेगा दस्तावेजों का पुनः सत्यापन..
चुनाव आयोग अब उन दस्तावेजों का पुनः सत्यापन करने पर विचार कर रहा है जो जन्म और नागरिकता प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं. इनमें जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और कक्षा 10वीं या 12वीं के बोर्ड प्रमाण पत्र (CBSE, ICSE या राज्य बोर्ड) शामिल हैं. अधिकारियों का मानना है कि इन दस्तावेजों के पुनः सत्यापन से यह स्पष्ट होगा कि व्यक्ति भारतीय नागरिक है या नहीं.

बिहार में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होगा अभियान..
बिहार में यह प्रक्रिया विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के दौरान लागू की जाएगी. इस दौरान बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर प्रत्येक मतदाता का सत्यापन करेंगे. इसमें न केवल नए मतदाताओं को जोड़ा जाएगा, बल्कि स्थानांतरित, मृत या अयोग्य मतदाताओं के नामों को हटाया भी जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया 2004 के बाद पहली बार इतनी व्यापक स्तर पर की जा रही है.

प्रवास और मृत्यु के कारण मतदाता सूची में गड़बड़ियां..
चुनाव आयोग के अनुसार, हर साल देश में लाखों की संख्या में लोग नौकरी, शिक्षा, विवाह या अन्य पारिवारिक कारणों से एक राज्य से दूसरे राज्य या जिले में स्थानांतरित होते हैं. 2024 में प्राप्त आवेदनों के अनुसार, लगभग 46.3 लाख लोगों ने अपना निवास बदला, 2.3 करोड़ ने मतदाता विवरण में सुधार के लिए आवेदन किया और 33.2 लाख ने प्रतिस्थापन के लिए अनुरोध किया. इस प्रकार एक ही वर्ष में करीब 3.2 करोड़ बदलाव की आवश्यकता हुई.

इसके अलावा, बहुत कम परिवार मतदाता की मृत्यु की सूचना आयोग को देते हैं, जिससे मृत व्यक्तियों के नाम लंबे समय तक सूची में बने रहते हैं. घर-घर जाकर सत्यापन से इस समस्या पर भी प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाया जा सकेगा.

मतदान केन्द्रों की सीमा भी बदलेगी..
आयोग मतदाता केन्द्रों की सीमा भी बढ़ाने की योजना बना रहा है. वर्तमान में एक मतदान केन्द्र पर अधिकतम 1,200 मतदाता होने चाहिए, जिसे बढ़ाकर 1,500 करने की योजना है. इसके लिए मतदान केन्द्रों के पुनः संरचनिकरण की आवश्यकता होगी.

राजनीतिक दलों को मिलेगा पूरा अवसर..
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची के अद्यतन की पूरी प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को दावे, आपत्तियां और अपीलें दायर करने के लिए पूरा अवसर दिया जाएगा. अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने से पहले सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी.

बता दें कि यह कदम भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है. मतदाता सूची की शुद्धता किसी भी निष्पक्ष चुनाव की रीढ़ होती है. आयोग की यह पहल न केवल फर्जी मतदाताओं को हटाने में मदद करेगी, बल्कि नए योग्य मतदाताओं को भी प्रणाली से जोड़ने में सहायक होगी. यदि बिहार में यह मॉडल सफल होता है, तो इसे देशभर में लागू किया जा सकता है, जिससे भारत के लोकतंत्र की पारदर्शिता और विश्वसनीयता और भी सशक्त होगी.







Edited by k.s thakur...




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