रेलवे के दो प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का बड़ा ऐलान, जानें किन राज्यों को मिलेगा फायदा?
Ashwini Vaishnav On Railway Projects : भारतीय रेलवे की दो बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, इसे लेकर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी। इन दोनों प्रोजेक्ट पर 6,405 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
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केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने रेलवे मंत्रालय की दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 6,405 करोड़ रुपये है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भारतीय रेलवे के बल्लारी-चिकजाजुर मल्टीट्रैकिंग प्रोजेक्ट को अनुमति मिली है।
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केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कोडरमा-बरकाकाना के बीच 133 किमी रेल लाइन के दोहरीकरण को अनुमति मिली है। यह खंड झारखंड के एक प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र से होकर गुजरता है। साथ ही यह पटना और रांची के बीच की सबसे छोटी और अधिक प्रभावी रेल लिंक के रूप में कार्य करता है।
अश्विनी वैष्णव ने कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भारतीय रेलवे की बल्लारी-चिकजाजुर मल्टीट्रैकिंग परियोजना पर कहा कि यह दोहरीकरण परियोजना 185 किलोमीटर तक फैली है और इसकी लागत 3,342 करोड़ रुपये है।
यह मंगलौर बंदरगाह के साथ आंतरिक इलाकों को कुशलतापूर्वक जोड़ेगी। हम मंगलौर की रेलवे कनेक्टिविटी में सुधार के लिए एक मास्टर प्लान बना रहे हैं। यह 29 प्रमुख पुलों वाली एक जटिल परियोजना है, जिससे लगभग 13 लाख की आबादी को लाभ होगा।
यह परियोजना कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बल्लारी क्षेत्र में है : अश्विनी वैष्णव
उन्होंने आगे कहा कि यह लगभग 19 मिलियन टन अतिरिक्त माल की ढुलाई की सुविधा प्रदान कर सकती है, जो हमारे पर्यावरण के लिए अभूतपूर्व रूप से मददगार होगी। यह 101 करोड़ कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकेगा, जो चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
इससे हमें देश के 20 करोड़ लीटर डीजल को सालाना बचाने में भी मदद मिलेगी। यह परियोजना कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बल्लारी क्षेत्र में है।
PM मोदी के तीसरे कार्यकाल में कई परियोजनाएं हुईं शुरू : रेल मंत्री
केंद्रीय रेल मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के दौरान परिवहन और रसद लागत को कम करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। आईआईएम बैंगलोर और आईआईएम कलकत्ता के हालिया अध्ययन से पता चलता है कि परिवहन में निवेश से देश की रसद लागत में लगभग 4 प्रतिशत की कमी आई है।
रसद लागत में हर प्रतिशत की कमी का मतलब है कि बहुत अधिक प्रतिस्पर्धी उद्योग होंगे। हम अधिक निर्यात कर सकते हैं। हम उत्पादन लागत कम रख सकते हैं। पिछले 1 साल में परिवहन परियोजनाओं के लिए लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी गई है। यह हमारे विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी बड़ी भूमिका निभाएगा।
Edited by k.s thakur...




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