अमेरिका में भारतीयों पर डोनाल्ड ट्रंप का चाबुक, सीधे भारत के खजाने पर पड़ेगा असर!

अमेरिका में भारतीयों पर डोनाल्ड ट्रंप का चाबुक, सीधे भारत के खजाने पर पड़ेगा असर!


Donald Trump News and US Remittance Tax: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर अब वहां रहने वाले भारतीय लोगों की जेब पर है. कथित तौर पर अमेरिका को फिर से महान बनाने की कोशिश के तहत ट्रंप की सरकार में वहां रहने वाले भारतीयों पर चाबुक चलने वाला है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार अपनी नीतियों के जरिए यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अपने देश के फिर से महान बनाने की कोशिश में लगे हैं. ऐसे में वह हर रोज कोई न कोई अजीबोगरीब फैसले कर रहे हैं. इससे दुनिया के करीब-करीब सभी बड़े देश परेशान हैं.

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इस बीच उन्होंने अमेरिका में रहने वाले भारतीयों पर भी चाबुक चलाने की तैयारी कर ली है. अगर अमेरिका ऐसे ऐसा कुछ होता है तो सीधे भारत के खजाने पर असर पड़ेगा. दरअसल, अमेरिका में गैर-अमेरिकी नागरिकों द्वारा विदेश भेजे जाने वाले पैसे यानी रेमिटेंस पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया है. 

इससे भारतीय समुदाय की चिंता गहरा गई है. आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने रविवार को कहा कि अगर यह प्रस्ताव कानून बन जाता है तो इससे भारतीय परिवारों और भारतीय रुपये पर गहरा असर पड़ सकता है.

यह प्रस्ताव ‘द वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ नामक एक बड़े विधेयक का हिस्सा है, जिसे 12 मई 2025 को अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में पेश किया गया. यह टैक्स उन गैर-अमेरिकी नागरिकों पर लागू होगा जो विदेश में पैसा भेजते हैं- जैसे ग्रीन कार्ड धारक और H-1B या H-2A वीजा पर काम करने वाले अस्थायी कर्मचारी. यह टैक्स अमेरिकी नागरिकों पर नहीं लगेगा.

विदेशी मुद्रा का नुकसान

GTRI ने चेतावनी दी है कि इस टैक्स से भारत को हर साल अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा का नुकसान हो सकता है. भारत को 2023-24 में 120 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला था, जिसमें से करीब 28 प्रतिशत अमेरिका से आया था. GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि पांच प्रतिशत टैक्स से घर पैसा भेजने की लागत काफी बढ़ जाएगी. अगर रेमिटेंस में 10-15 प्रतिशत की कमी आती है तो भारत को हर साल 12-18 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.

उन्होंने बताया कि इस नुकसान से भारत के विदेशी मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति कम हो सकती है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ेगा. श्रीवास्तव ने कहा कि अगर यह नुकसान पूरी तरह से होता है तो भारतीय रिजर्व बैंक को रुपये को स्थिर करने के लिए बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ सकता है. इससे रुपये की कीमत 1-1.5 रुपये प्रति डॉलर तक कम हो सकती है.

केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार पर बड़ा असर

केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में लाखों परिवार रेमिटेंस पर निर्भर हैं. ये परिवार शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आवास जैसे जरूरी खर्चों के लिए इस पैसे का उपयोग करते हैं. श्रीवास्तव ने कहा कि अगर रेमिटेंस में अचानक कमी आती है तो इन परिवारों की खर्च करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ेगा. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ सकता है जो पहले से ही वैश्विक अनिश्चितता और महंगाई की चुनौतियों से जूझ रही है.

इस प्रस्ताव का असर न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देखा जा सकता है. श्रीवास्तव ने कहा कि इस टैक्स से वैश्विक विकास के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय चैनल बाधित हो सकता है. इससे गरीब देशों में परिवारों की आय कम होगी और पहले से ही असमानता और अस्थिरता से जूझ रही अर्थव्यवस्थाओं में मांग कमजोर होगी. 

यह मुद्दा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में सीमा-पार पूंजी प्रवाह या रेमिटेंस की लागत को कम करने का प्रस्ताव रखा है. अगर अमेरिका यह टैक्स लागू करता है तो भारत के इस प्रयास को झटका लग सकता है.

जांच एजेंसियों और आर्थिक विशेषज्ञ इस प्रस्ताव पर नजर रखे हुए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह बिल पास होता है तो यह जुलाई 2025 तक कानून बन सकता है. इस बीच भारतीय प्रवासियों को सलाह दी जा रही है कि वे इस टैक्स से बचने के लिए जल्द से जल्द बड़े रेमिटेंस कर लें.



Edited by k.s thakur...


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