₹7000 करोड़ की डील, 155 mm का देसी आर्टिलरी गन, फायरिंग रेंज जान हदस जाएंगे चीन-पाक, सपनों को पूरा करेगी टाटा...

₹7000 करोड़ की डील, 155 mm का देसी आर्टिलरी गन, फायरिंग रेंज जान हदस जाएंगे चीन-पाक, सपनों को पूरा करेगी टाटा...


Indigenous Artillery Gun Deal: 21वीं सदी में युद्ध का तौर तरीका काफी बदल चुका है. आर्मी की जगह एयरफोर्स और नेवी की भूमिका काफ अहम हो चुकी है. इसके बजाय बॉर्डर की सुरक्षा के लिए आर्मी काफी अहम है, ऐसे में सेना का हाथ मजबूत करना बहुत जरूरी है.

Ad..


नई दिल्‍ली. सेकंड वर्ल्‍ड वॉर का युग और युद्ध शैली अब समाप्‍त हो चुकी है. अब मानवरहित ड्रोन, स्‍टील्‍थ फाइटर जेट, एयरक्राफ्ट करियर आदि ज्‍यादा प्रभावशाली हो चुके हैं. दशकों पहले आर्मी की भूमिका जितनी अहम थी, अब उसमें कमी आई है. इसके बावजूद बॉर्डर सिक्‍योरिटी और अन्‍य तरह के जमीनी ऑपरेशन के लिए मजबूत आर्मी बहुत जरूरी है.

     Ad..


दुनिया के साथ भारत भी इस बात को बखूबी समझ रहा है. यही वजह है कि आर्मी को मजबूत करने की कवायद लगातार और सतत जारी है. इसी क्रम में सुरक्षा मामलों की कमेटी (CCS) ने अहम फैसला लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई CCS की बैठक में 7000 करोड़ रुपये के देसी आर्टिलरी गन खरीद डील को हरी झंडी दे दी गई है.

देश में इसका निर्माण भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्‍ड सिस्‍टम्‍स मिलकर करेगी. इस आर्टिलरी गन की खूबियां दुश्‍मनों के होश उड़ाने के लिए काफी हैं.

इंडियन आर्मी लंबे समय से लॉन्‍ग रेंज के आर्टिलरी गन की जरूरत पर जोर दे रही थी, ताकि दुश्‍मनों को पास आने से पहले ही उसे खत्‍म किया जा सके. सरकार ने अब उनकी डिमांड को सुन ली है ओर लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम देसी आर्टिलरी गन बनाने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है.

CCS ने ₹7000 करोड़ के प्रस्‍ताव को अपनी स्‍वीकृति दे दी है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एडवांस्‍ड टो आर्टिलरी गन का निर्माण दो देसी कंपनियों के साथ मिलकर करेगा. इसके साथ ही आर्मी की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो जाएगी. खासकर बॉर्डर इलाकों में आर्टिलरी गन की जरूरत काफी ज्‍यादा होती है. आजकल ड्रोन से टोह लेने और खुफिया जानकारी जुटाने की गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं. खासकर पाकिस्‍तान की ओर से इस तरह की हरकत लगातार की जाती है.

दुश्‍मन को दहलाने वाला वेपन
लॉन्‍ग रेंज के आर्टिलरी गन की खासियत भी काफी बेहतरीन है. यह दुश्‍मनों का दिल दहलाने के लिए काफी है. ‘इकोनोमिक टाइम्‍स’ की रिपोर्ट के अनुसार, एडवांस्‍ड टो आर्टिलरी गन सिस्‍टम (ATAGS) कई मायनों में खास है.

ATAGS देश में डेवलप किया जाने वाला पहला 155 एमएम का आर्टिलरी गन होगा. इसकी मारक क्षमता भी काफी ज्‍यादा होगी, जिस वजह से टारगेट के करीब आने से पहले ही उसे खत्‍म किया जा सकेगा. इस आर्टिलरी गन की फायरिंग रेंज 40 किलोमीटर होगी. साथ ही इसमें 52 कैलिबर का बैरल होगा. इससे इसकी क्षमता का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. खासकर फायरिंग रेंज का ज्‍याद होना काफी खतरनाक और दुश्‍मनों के लिए बड़ी आफत साबित होगी.

105 और 130 mm आर्टिलरी गन होंगे रिप्‍लेस..

इंडियन आर्मी ने नेक्‍स्‍ट जेनरेशन वेपन को देश में ही डेवलप करने का प्‍लान तैयार किया है. इसका मतलब यह हुआ कि आने वाले समय में देश में और भी खतरनाक हथियार का उत्‍पादन शुरू होगा. 

इसका उद्देश्‍य दूसरे देशों पर दशकों से जारी निर्भरता को चरणबद्ध तरीके से खत्‍म करना और डिफेंस सेक्‍टर में आत्‍मनिर्भर होना है. रिपोर्ट की मानें तो मौजूदा 105 और 130 एमएम आर्टिलरी गन को स्‍टेप बाय स्‍टेप बेड़े से हटाया जाएगा और उसकी जगह 155 एमएम आर्टिलरी गन को तैनात किया जाएगा.

65 फीसद से ज्‍यादा उपकरण घरेलू कंपनियां ही मुहैया कराएंगी. फिलहाल 307 155 एमएम आर्टिलरी गन मैन्‍यूफेक्‍चर करने का लक्ष्‍य रखा गया है. भविष्‍य में इसे और बढ़ाया जा सकता है.





Edited by k.s thakur...




Post a Comment

أحدث أقدم