Syria War: सीरिया में असद की सत्ता का पतन, बड़े पैमाने पर पलायन; पड़ोसी देश चिंतित; 10 Points में पढ़ें पूरा अपडेट...

Syria War: सीरिया में असद की सत्ता का पतन, बड़े पैमाने पर पलायन; पड़ोसी देश चिंतित; 10 Points में पढ़ें पूरा अपडेट...


रॉयटर्स, दमिश्क। सीरिया में पिछले हफ्ते विद्रोहियों की छेड़ी लड़ाई महज 11 दिनों में अंजाम तक पहुंच गई। रविवार तड़के हयात तहरीर अल-शाम के लड़ाके राजधानी दमिश्क में घुस गए और उन्होंने हवाई अड्डा, सरकारी दूरसंचार मुख्यालय और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों पर कब्जा करना शुरू कर दिया।

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असद की सत्ता का अंत..

दमिश्क में मौजूद सेना ने भी उन्हें नहीं रोका। विद्रोहियों और सरकारी सेना ने कहा, बशर अल-असद की सत्ता का अंत हो चुका है। राष्ट्रपति असद, उनकी पत्नी अस्मा और दोनों संतान कहां हैं, यह फिलहाल पता नहीं है। माना जा रहा है कि वह विद्रोहियों के दमिश्क में प्रवेश से पहले ही देश छोड़ चुके थे और अब उनके रूस में होने की संभावना है।
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नागरिकों से सीरिया छोड़ने के लिए कहा..

असद के समर्थक रहे रूस ने कहा है कि सीरिया में सत्ता का शांतिपूर्ण तरीके से हस्तांतरण होना चाहिए। विद्रोहियों के तेजी से बढ़ते कदमों की धमक असद को दशकों से समर्थन दे रहे रूस और ईरान ने पहले ही महसूस कर ली थी। इसीलिए शुक्रवार को रूस ने अपने नागरिकों से सीरिया छोड़ने के लिए कहा था और ईरान ने भी अपने लोगों को बुलाना शुरू कर दिया था लेकिन असद इतनी जल्दी मैदान छोड़ देंगे, इसका अंदाजा किसी को नहीं था।

विद्रोहियों ने जश्न में समय नहीं गंवाया..

अलेप्पो, हामा, दीर अल-जोर, दारा और सुवेदा के बाद महज कुछ घंटे में मामूली प्रतिरोध के बाद तीसरा बड़ा शहर होम्स भी शनिवार-रविवार रात विद्रोहियों के कब्जे में आ गया। विद्रोहियों ने जश्न में समय नहीं गंवाया और वे राजधानी दमिश्क पर कब्जे के लिए बढ़ गए। रास्ता साफ मिला और तड़के वे दमिश्क में प्रवेश कर गए। वहां भी प्रतिरोध शून्य था।

कैदियों को मुक्त कर दिया..

राष्ट्रपति असद पहले ही देश छोड़ चुके थे और प्रधानमंत्री मुहम्मद गाजी अल-जलीली ने विद्रोहियों का सहयोग करना ही उचित समझा। सेना ने भी हवा का रुख भांपा और जवान बैरकों में चले गए। विद्रोहियों ने जेल का द्वार खोल दिया और कैदियों को मुक्त कर दिया है। असद की सत्ता जाने पर विरोधी खुशी भी मना रहे हैं।

53 वर्ष लंबे शासनकाल का अंत..

दमिश्क के मुख्य चौराहे पर एकत्रित होकर वे अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं। इस प्रकार से बिना खूनखराबे के सीरिया पर असद परिवार के 53 वर्ष लंबे शासनकाल का अंत हो गया। इस दौरान बशर अल-असद सन 2000 से लेकर रविवार तक 24 वर्ष राष्ट्रपति रहे, उनसे पहले उनके पिता हाफिज अल-असद 1971 से 2000 में मृत्यु होने तक राष्ट्रपति रहे थे।

सीरिया में रूसी सेना की मजबूती..

वैसे 2011 के बाद से सीरिया गृह युद्ध की चपेट में था और उसके बहुत बड़े भूभाग पर कई सशस्त्र गुटों का कब्जा हो गया था। लेकिन रूसी सेना की सीरिया में मौजूदगी के चलते असद की सत्ता 13 वर्ष कायम रही थी। फरवरी, 2022 से जारी यूक्रेन युद्ध का असर सीरिया में रूसी सेना की मजबूती पर पड़ा और चंद रोज की लड़ाई में विद्रोही भारी पड़ गए।


बड़े पैमाने पर पलायन, पड़ोसी देश चिंतित..

होम्स और दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्जे के बाद दोनों शहरों से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। भविष्य की अनिश्चितता के चलते हजारों लोगों ने घर छोड़ दिया है। देश पर कब्जे की लड़ाई छिड़ने की आशंका से अभी तक करीब चार लाख लोग घर छोड़ चुके हैं, आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ने के आसार हैं। इन लोगों को रोकने के लिए जार्डन और लेबनान ने पहले ही अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं। लेकिन पड़ोसी देश शरणार्थियों को कब तक रोक पाएंगे, इसे लेकर संदेह है।

विद्रोहियों का ईरानी दूतावास पर कब्जा..

विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जे के बाद ईरान के दूतावास पर धावा बोल दिया और उस पर कब्जा कर लिया। पता चला है कि वहां से बड़े ईरानी अधिकारी पहले ही सुरक्षित निकल चुके थे, वहां पर सीरियाई कर्मचारी ही विद्रोहियों को मिले हैं। पता चला है कि वहां पर तोड़फोड़ की गई है। विदित हो कि ईरान ने अंत तक असद का समर्थन किया।

कई इलाकों में लड़ रही है सेना..

राजधानी दमिश्क में सेना ने भले ही विद्रोहियों के लिए रास्ता छोड़ दिया हो लेकिन हामा और होम्स के कुछ इलाकों में सेना विद्रोहियों से लड़ रही है। असद की सत्ता खत्म होने की घोषणा के साथ ही सेना ने आंतकी समूहों से लड़ाई जारी होने की बात कही है। देश के अन्य इलाकों में भी सेना ने अभी मोर्चे नहीं छोड़े हैं। कई सशस्त्र संगठनों के कब्जे वाले इलाकों में सेना तैनात है।

असद के करीबी संगठनों ने खुद को किया अलग..

बशर असद की सरकार के करीबी संगठनों ने सत्ता जाने के बाद खुद को उनसे अलग कर लिया है। सरकार समर्थक सीरिया के अल-वतन अखबार ने लिखा कि अतीत में सरकारी बयान प्रकाशित करने के लिए मीडियाकर्मियों को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। इसमें कहा गया कि हमने केवल निर्देशों का पालन किया और वही समाचार प्रकाशित किया जो उन्होंने हमें भेजा था। असद के करीबी अलावाइट संप्रदाय ने एक बयान में युवाओं से शांत, तर्कसंगत और विवेकपूर्ण रहने और देश की एकता को तोड़ने वाली चीजों में नहीं घसीटे जाने का आह्वान किया है।






Edited by k.s thakur...



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