Jharkhand Election 2024 : विधायक और सांसद बने, फिर भी टूटे घर की मरम्मत नहीं करा सके थे जगदीश बाबू...

Jharkhand Election 2024 : विधायक और सांसद बने, फिर भी टूटे घर की मरम्मत नहीं करा सके थे जगदीश बाबू...


गोड्डा। गोड्डा के पोड़ैयाहाट के प्रखंड के बक्सरा गांव निवासी जगदीश नारायण मंडल को क्षेत्र के लोग जगदीश बाबू के नाम से पुकारते थे। हमेशा लोगों की मदद को तत्पर रहने वाले जगदीश बाबू का पूरी जीवन सादगी, समाजसेवा, ईमानदारी की मिसाल रहा।

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वह जीवनभर देश सेवा के प्रति समर्पण के साथ कांग्रेस की सेवा में लगे रहे। 1952 के आम चुनाव में वह बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। 1971 से 1977 तक कांग्रेस के सांसद भी रहे। विधायक व सांसद पद पर रहकर लोगों की सेवा करने वाले जगदीश बाबू पूरे जीवनभर अपने टूटे घर तक को ठीक नहीं करा पाए थे।

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उनकी निष्ठा, ईमानदारी, समाजसेवा और त्याग की भावना को आज भी गोड्डा के लोग आदर के साथ याद करते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता सच्चिदानंद साह बताते हैं कि जगदीश बाबू का जन्म पोड़ैयाहाट प्रखंड के बक्सरा गांव में 14 दिसंबर 1917 को हुआ था।

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छह माह के लिए गए जेल..

बक्सरा के बेसिक स्कूल में उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई थी। इनका निधन 84 वर्ष की उम्र में 10 फरवरी 2002 को निधन हुआ। जगदीश नारायण मंडल को 1931 में गोड्डा कोर्ट में झंडा फहराने के कारण छह माह के लिए कारावास में डाल दिया गया था।

जेल से छूटने के लिए उन्हें 75 रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ा था। उन्होंने 1942 के जनआंदोलन के समय अंग्रेजों के खिलाफ संताल पहाड़िया आदिवासियों के बीच संघर्ष की लौ को जलाए रखा। तीन साल तक जंगल व पहाड़ों की कंदराओं में रहकर जीवन बिताया।

अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ने के लिए 10 हजार रुपये के ईनाम की घोषणा की थी। पुलिस ने उनके घर को कुर्क कर लिया था। इस दौरान पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया। इन सबके बावजूद जगदीश मंडल झुके नहीं औऱ स्वतंत्रता संग्राम के सबल सिपाही के रूप में डटे रहे।

16 वर्ष की उम्र में ही महात्मा गांधी के आह्वान पर वह देश की सेवा में लग गए थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भागलपुर में धरना देने के दौरान जगदीश मंडल गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें छह माह कारावास की सजा मिली।

जेल से छूटने के बाद जगदीश बाबू ने संताल परगना कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर क्रांतिकारी साथियों के साथ कर्माटांड़ में कांग्रेस कार्यालय की स्थापना की। इस दौरान सुंदरपहाड़ी प्रखंड के कर्माटांड़ में हैजा रोग फैल गया।

जान की परवाह किए बिना की हैजा के मरीजों की सेवा..

जगदीश बाबू ने अपनी जान की परवाह किए बगैर जगदीश बाबू हैजा मरीजों की सेवा में लगे रहे। 1934 में मुंगेर में भयंकर भूकंप आया था। इस दौरान जगदीश बाबू ने भूकंप पीड़ितों की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाई थी। हरिजन आंदोलन के समय गांधीजी देवघर आए थे।

जसीडीह रेलवे स्टेशन पर विरोध-प्रदर्शन के दौरान गांधीजी को बचाने में जगदीश बाबू को गंभीर चोट लगी थी। जगदीश बाबू 1936 से 1946 तक गोड्डा सब डिवीजनल कांग्रेस कमेटी के मंत्री रहे।

1938 में जिला बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए। 1939 में सत्याग्रह में उतरे जगदीश बाबू को छह माह की सजा व 250 रुपये जुर्माना लगाया गया।

गोड्डा कोर्ट में जगदीश नारायण मंडल ने आत्मसर्मपण कर दिया। इन्हें एक साल की सजा मिली। 1946 में जिला कांग्रेस के कमेटी के पद पर बने रहे। दो वर्ष बाद जिला कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 10 वर्ष तक इस पद पर बने रहे।








Edited by k.s thakur...







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