Trump Putin Meeting News: अलास्का में ट्रंप-पुतिन मुलाकात… क्या कम होगी भारत–अमेरिका के बीच की खटास?

Trump Putin Meeting News: अलास्का में ट्रंप-पुतिन मुलाकात… क्या कम होगी भारत–अमेरिका के बीच की खटास?


Trump Putin Meeting News: अलास्का में ट्रंप-पुतिन मुलाकात से यूक्रेन युद्ध, रूस-अमेरिका रिश्ते और भारत पर असर के कयास तेज हो गए हैं. टैरिफ विवाद, रूस-चीन समीकरण और भारत की कूटनीति पर इस असह गहरा पड़ने वाला है. आइए समझते हैं इस स्टोरी में इस मुलाकात के असर के बारे में.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपऔर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस शुक्रवार को अलास्का के जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ–रिचर्डसन में मुलाकात करेंगे. यह जगह शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ की गतिविधियों पर नजर रखने का अहम ठिकाना रही है और आज भी अमेरिका की इंडो–पैसिफिक सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण है. 
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व्हाइट हाउस के अनुसार इस मुलाकात का केंद्र में यूक्रेन युद्ध रहेगा. हालांकि तुरंत किसी बड़े समझौते की उम्मीद कम है.इस बेस का अपना एक प्रतीकात्मक महत्व है. साल 2010 में एलमेंडॉर्फ एयर फोर्स बेस और फोर्ट रिचर्डसन को मिलाकर बना यह ठिकाना कभी सोवियत के वर्चस्व को रोकने का बड़ा केंद्र था. 

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अब पुतिन पहली बार एक दशक में अमेरिकी जमीन पर कदम रखेंगे और यह 150 साल में पहली बार होगा जब कोई रूसी नेता अलास्का आएगा. वह भी वहां जहां 1867 में रूस के सम्राट अलेक्ज़ेंडर द्वितीय ने यह इलाका अमेरिका को बेच दिया था.

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ट्रंप ने इस बातचीत को “रचनात्मक चर्चा” बताया. लेकिन साथ ही कहा कि यह “पहली बार एक-दूसरे को समझने” जैसी बैठक होगी. इसके बावजूद यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब भारत, रूस और अमेरिका के रिश्तों में कई परतों वाला भू-राजनीतिक तनाव है.


टैरिफ बना तनाव का कारण..

इस हफ्ते ट्रंप ने दावा किया कि उनकी सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए रूसी क्रूड ऑयल के आयात पर टैरिफ ने मास्को की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है. ट्रंप ने कहा, “भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है.” अमेरिका ने भारतीय सामान पर 25% रेसिप्रोकल टैरिफ और रूसी तेल की खरीद पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया है. यानी अब कुट टैरिफ 50% तक हो गया है.

स्मार्टफोन और दवाओं को इससे छूट मिली है. लेकिन ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि अगर यह दरें जारी रहीं तो अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात में 60% की गिरावट आ सकती है. इससे भारत के GDP पर लगभग 1% का असर होगा. छूट न मिलने की स्थिति में यह गिरावट 80% तक पहुंच सकती है.

डिप्लोमैटिक बैलेंसिंग एक्ट..
टैरिफ विवाद के बावजूद इसका एक अप्रत्याशित कूटनीतिक नतीजा भी निकला. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के विशिष्ट फेलो नंदन उन्नीकृष्णन के अनुसार, भारत ने तुरंत रूस को भरोसा दिलाया कि वह अमेरिकी दबाव में आकर रूसी तेल आयात बंद नहीं करेगा. इसी दौरान भारत और रूस ने एल्युमिनियम, खाद, रेलवे और माइनिंग टेक्नोलॉजी में औद्योगिक सहयोग का प्रोटोकॉल साइन किया.

इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मॉस्को भेजा गया. जहां उन्होंने पुतिन और शीर्ष रूसी अधिकारियों से मुलाकात की. इन बैठकों में दोनों देशों के रक्षा सहयोग पर खास जोर रहा. दिलचस्प बात यह है कि डोभाल की यात्रा उसी समय हुई जब ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने भी पुतिन से मुलाकात की जिसने अलास्का शिखर सम्मेलन का रास्ता साफ किया.

यूक्रेन में शांति या सिर्फ ठहराव?

उन्नीकृष्णन याद दिलाते हैं कि अप्रैल 2022 में इस्तांबुल में मॉस्को और कीव के बीच लगभग एक शांति समझौता हो गया था. इसमें यूक्रेन की तटस्थता और क्रीमिया को छोड़कर बाकी क्षेत्रीय स्थिति बनाए रखने का प्रावधान था. लेकिन पश्चिमी देशों ने रूस को रणनीतिक रूप से हराने के आत्मविश्वास में कीव को लड़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया और योजना ध्वस्त हो गई.

अब विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम समझ चुका है कि यह युद्ध जीतना संभव नहीं है, और एक यथार्थवादी समाधान में यूक्रेन का NATO में शामिल न होना और कुछ और क्षेत्र छोड़ना शामिल होगा. सवाल यह है कि क्या अलास्का बैठक रूस पर प्रतिबंधों के दबाव की वजह से हो रही है, या फिर रूस की सैन्य बढ़त इसे संभव बना रही है.

रूस–चीन समीकरण और यूरोप की दूरी..

भले ही अलास्का बैठक से अमेरिका–रूस रिश्तों में स्थिरता आए. लेकिन इससे यूरोप के साथ रूस के तनाव में कमी की संभावना कम है. उन्नीकृष्णन कहते हैं कि रूस का प्राथमिक लक्ष्य अमेरिकी नेतृत्व वाली पश्चिमी व्यवस्था को कमजोर करना है, साथ ही वह अमेरिका–चीन की द्विध्रुवीय दुनिया से बचना चाहता है. इसका मतलब है कि वह चीन से पूरी तरह दूरी नहीं बनाएगा.

भारत की रणनीतिक सोच..

भारत के लिए, अमेरिका–रूस के बीच एक संभावित “थॉ” (संबंधों में नरमी) लंबे समय में फायदेमंद हो सकता है. इससे अतिरिक्त टैरिफ हटने का रास्ता खुल सकता है और भारत के लिए वैश्विक संतुलन साधना आसान होगा. उन्नीकृष्णन के अनुसार महान शक्ति बनने की आकांक्षा रखने वाले भारत को सभी बड़ी शक्तियों से कामकाजी रिश्ते बनाए रखने होंगे.

लेकिन वे चेतावनी देते हैं कि रूस भारत की सभी विकास आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता. इसलिए भारत को ऊर्जा आपूर्ति के दीर्घकालिक अनुबंध सुरक्षित करने होंगे. चाहे रूस पर से प्रतिबंध हट भी जाएं और पश्चिम के साथ रिश्ते गहरे करने होंगे.







Edited by k.s thakur...

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