SC News: दिल्ली से बाहर निकलकर देखिए... क्यों सुप्रीम कोर्ट हुआ गुस्सा, कहा- फरीदाबाद, गुरुग्राम में क्या हो रहा है?

SC News: दिल्ली से बाहर निकलकर देखिए... क्यों सुप्रीम कोर्ट हुआ गुस्सा, कहा- फरीदाबाद, गुरुग्राम में क्या हो रहा है?


Supreme Court Latest News: सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी जिसके खिलाफ 55 से ज़्यादा आपराधिक केस दर्ज हैं उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाया और कहा कि ऐसे लोगों के लिए कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए. समाज को इनसे छुटकारा दिलाना होगा.

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नई दिल्लीः दिल्ली के बाहर भी देखिए… क्या हो रहा है फरीदाबाद और गुरुग्राम में? सुप्रीम कोर्ट की ये तल्ख टिप्पणी पूरे एनसीआर में कानून-व्यवस्था की बदहाली पर सीधा सवाल खड़ा करती है. जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाला बागची की बेंच ने मंगलवार को एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि गवाह अब डर के साए में जी रहे हैं, लोग बेखौफ हो गए हैं और अदालतों में मुकदमे सालों लटक रहे हैं.

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जयमाला बागची की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एनसीआर क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति से नाराज दिखी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि दिल्ली के भौगोलिक क्षेत्र से बाहर निकलकर देखिए कि फरीदाबाद, गुरुग्राम आदि में क्या हो रहा है? 

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि इन गैंगस्टरों के प्रति कोई भी अनुचित सहानुभूति नहीं होनी चाहिए. गवाह आपकी आंख और कान हैं. आप उनकी सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं?

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते गैंगस्टर मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की और कहा कि आम आदमी की नजर में कानून का भय कम हुआ है. गैंगस्टर्स के साथ बेवजह सहानुभूति नहीं होनी चाहिए. समाज को इनसे छुटकारा पाना होगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय के सचिव और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को नोटिस जारी किया है. इस मामले में चार सप्ताह बाद पुनः सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है यानी अब 4 हफ्ते बाद मामले की अगली सुनवाई होगी.

इस मामले में सुनवाई के दौरान प्रमुख दलील इस प्रकार से है :-

न्यायमूर्ति सूर्यकांत: NCR क्षेत्र में अपराध की स्थिति चिंताजनक है. दिल्ली के बाहर फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद जैसे क्षेत्रों में स्थिति बिगड़ती जा रही है. गाजियाबाद से एक अपराधी पकड़ा गया जिसने पानीपत में हत्या की थी. ऐसे गैंगस्टरों के लिए कोई भी सहानुभूति नहीं होनी चाहिए, समाज को इनसे छुटकारा पाना होगा.

न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची:- आम लोगों का कानून में विश्वास कम होता जा रहा है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत: – NIA के एक मामले में भी न्यायालय ने चिंताएं व्यक्त की थीं. आंध्र प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां विशेष मामलों के लिए अलग अदालतें और आवश्यक ढांचा तैयार किया गया. इससे मुकदमों का शीघ्र निपटारा संभव हुआ.

न्यायमूर्ति बागची: – हर ट्रायल में देरी की जाती है ताकि गवाहों को प्रभावित कर आरोपी बरी हो सके. यही उनका रणनीतिक खेल है.

क्या है मामला?
मामला- जमानत याचिका (IPC 307 और Arms Act के तहत) याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले से 55 आपराधिक मामले दर्ज हैं.

नए हलफनामे के अनुसार- NCT दिल्ली में 288 मुकदमे लंबित हैं.
– इनमें से 180 मामलों में अभी तक आरोप तय नहीं हुए.
– केवल 25 प्रतिशत मामलों में अभियोजन साक्ष्य की शुरुआत हुई है.
– आरोप तय करने और गवाहों की जांच में 3-4 साल का अंतर है.
गैंग के अन्य सदस्य अलग-अलग अदालतों में अलग-अलग मुकदमों में घिरे हैं.

न्यायालय के सुझाव एवं निर्देश – दिल्ली हाईकोर्ट यदि चाहे तो विशेष अदालतें बना सकती है, पर यह केंद्र और दिल्ली सरकार के सहयोग से ही संभव होगा.
– फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना हो.
– अतिरिक्त न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति हो.
– अलग ‘एडहोक’ न्यायिक कैडर तैयार हो.
– बुनियादी ढांचा और सचिवीय सहयोग दिया जाए.
– 288 मुकदमों का बोझ एक साथ लंबित रहना न्याय व्यवस्था पर बोझ डालता है.
– मुकदमों का विभाजन और रोज सुनवाई के लिए न्यायालयों की संख्या बढ़ाई जाए.
– अधिवक्ताओं की उपस्थिति के लिए मुआवजा.
– बार-बार स्थगन (adjournment) से बचाव.
– समयबद्ध रूप से आरोप तय करने और आरोपपत्र दाखिल करने की समयसीमा सुनिश्चित की जाए.






Edited by k.s thakur...

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