10000 KMPH की रफ्तार, 1500 किलोमीटर रेंज, S-400 और THAAD होगा फेल! नए 'ब्रह्मास्त्र' से पलक झपकते दुश्मन तबाह...
BrahMos-2K Hypersonic Missile Project: भारत ET-LDHCM हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल पर काम कर रहा है. यह मिसाइल 11000 KMPH की रफ्तार से टारगेट को तबाह करने में सक्षम है.
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स्क्रैमजेट इंजन और स्टील्थ तकनीक इसे बेहद खास बनाती है. अब भारत दशकों पुराने मित्र रूस के साथ एक और हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोजेक्ट पर काम करने की तैयारी कर रहा है.
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BrahMos-2K Hypersonic Missile Project: देश के और दुनिया के हालात तेजी से बदल रहे हैं. रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास के बाद अब थाईलैंड-कंबोडिया के बीच सशस्त्र संघर्ष छिड़ चुका है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए हर छोटे से बड़े देश के अंदर विदेशी हमले का डर समा गया है.
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ऐसे में हर देश अपने डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने में जुटा है. डोमेस्टिक टेक्नोलॉजी के साथ ही विदेशों से भी धड़ल्ले से मॉडर्न वेपन की खरीद की जा रही है. इससे डिफेंस एक्सपेंडिचर यानी रक्षा खर्च में काफी वृद्धि भी देखी जा रही है. सिक्योरिटी के लिहाज से भारत की स्थिति अन्य देशों से काफी संवेदनशील है.
देश के एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी तरफ चीन स्थित है. पाकिस्तान दुनियाभर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और टेररिज्म को स्टेट पॉलिसी के तौर पर इस्तेमाल करने को लेकर कुख्यात है. गुजरात से लेकर राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर तक से पाकिस्तान की सीमा लगती है.
इतिहास गवाह है कि किस तरह से पाकिस्तान ने इन इलाकों के जरिये भारत में घुसपैठ करने और अटैक करने की अपनी साजिश को अभी तक अंजाम देने की नापाक कोशिश की है. 1965, 1971 और साल 1999 का कारगिल युद्ध इसका प्रमाण है. दूसरी तरफ, चीन पूरी दुनिया में अपनी विस्तारवादी नीतियों को लेकर कुख्यात है.
फिलीपींस, वियतनाम, जापान जैसे देश चीन से पीड़ित देश हैं. बीजिंग की नजर भारत पर भी टिकी रहती हैं. अरुणाचल प्रदेश से लेकर लेह-लद्दाख तक को लेकर चीन जब-तब अपनी मंशा जाहिर करता रहा है. साल 1962 का युद्ध इसका सबसे बड़ा सबूत है.
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में पाकिस्तान परस्त आतंवादियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी. चौंकाने वाली बात यह थी कि आतंकवादियों ने नाम पूछकर धार्मिक आधार पर इस वीभत्स नरसंहार को अंजाम दिया था.
इसके बाद भारत ने मई ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर पीओके और पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में स्थित आतंकवादियों के कई शिविरों को मिट्टी में मिला दिया था. पाकिस्तान की ओर से दुस्साहस करने पर इंडियन एयरफोर्स ने पड़ोसी देश के 9 एयरबेस पर अटैक कर उसे व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचाया था.
आखिरकार पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे. इस ऑपरेशन में एयरफोर्स ने अपनी प्रचंडता से दुनिया को रूबरू कराया था. पाकिस्तान और चीन के साथ ही दुनिया के अन्य देशों ने पहली बार ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का घातक प्रहार भी देखा. ब्रह्मोस मिसाइल की चोट से पाकिस्तान इस कदर थर्राया कि इंटरनेशनल कम्यूनिटी से भारत को बातचीत के लिए मनाने के लिए गुहार लगाने लगा.
आखिरकार भारत संघर्ष विराम पर सहमत हुआ था. हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है. भारत अब उसी ब्रह्मोस मिसाइल का अपग्रेडेड वर्जन डेवलप करने में जुटा है. बता दें कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल भारत और रूस का ज्वाइंट प्रोजेक्ट है.
बताया जा रहा है कि ब्रह्मोस का नया वर्जन पहले के मुकाबले कहीं ज्याद खतरनाक और घातक होने वाला है. रूस के साथ मिलकर इसे डेवलप करने की तैयारी है. ब्रह्मोस का नया वर्जन रूस के घातक 3M22 जिरकॉन मिसाइल का नया अवतार होगा.
ब्रह्मोस-2K: रफ्तार का सौदागर..
ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का मौजूदा संस्करण सुपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित है. अब इसे हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के रूप में बदलने की प्लानिंग की है. भारत ने रूस के साथ मिलकर ब्रह्मोस-2K या ब्रह्मेस-MKII हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल डेवलप करने की प्लानिंग की है.
‘इंडिया डिफेंस रिसर्च विंग’ की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रह्मोस-2K हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार 7 मैक से 8 मैक यानी तकरीबन 10000 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. मतलब यह मिसाइल एक घंटे से भी कम समय में पूरे पाकिस्तान को अपनी जद में ले लेगा.
बताया जा रहा है कि ब्रह्मोस-2K की रेंज 1500 किलोमीटर होगी. मौजूदा ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की रेंज 290 से 450 किलोमीटर तक की है. कुछ वर्जन की रेंज 800 किलोमीटर तक की भी है. इस तरह ब्रह्मोस-2K रेंज के मामले में पूर्ववर्ती के मुकाबले कहीं ज्यादा एडवांस होने वाली है.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा में लग सकती है मुहर..
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल भारत की महत्वपूर्ण यात्रा पर आने वाले हैं. रिपोर्ट की मानें तो उनकी भारत यात्रा के दौरान ब्रह्मोस-2K हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को संयुक्त रूप से डेवलप करने के करार पर समझौता हो सकता है.
दिलचस्प बात यह है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने तकरीबन एक दशक पहले यह प्रस्ताव रखा था. शुरुआत में रूस दशकों पुराने मित्र भारत को हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी शेयर करने से हिचकिचा रहा था.
हालांकि, साल 2016 में भारत भी मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का सदस्य बन गया था. इसके बाद ब्रह्मोस के हाइपरसोनिक संस्करण को संयुक्त रूप से डेवलप करने के प्रयास तेज हो गए थे.
एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम..
ब्रह्मोस-2K हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल मौजूदा अल्ट्रा मॉडर्न एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम होगी. इस मिसाइल की स्पीड तकरीबन 10000 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. साथ ही यह लो-एल्टीट्यूड यानी कम ऊंचाई पर मूव करने में सक्षम होगी. ब्रह्मोस-2K मैन्यूवरिंग के मामले में काफी एडवांस होने वाली है.
इसका मतलब यह हुआ कि ब्रह्मोस-2K हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल दिशा बदलने में भी सक्षम होगी. एक्सपर्ट की मानें तो इस खासियत की वजह से ब्रह्मोस-2K हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल S-400, थाड, आयरन डोम जैसी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम होगी. ऐसे में यह दुश्मनों के लिए काल साबित होने वाली है.
Edited by k.s thakur...





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