100 लाशें एक ही जगह दफन... कर्नाटक में ऐसा क्या हुआ जिस पर उठ रहे सवाल, अब SIT करेगी जांच...
Karnataka News: कर्नाटक के एक धार्मिक स्थल पर 100 शवों के दफन की सनसनीखेज बात सामने आई है. एक सफाईकर्मी ने कबूला कि दो दशकों तक दबाव में शव दबाए. अब इस पूरे मामले में SIT जांच करेगी.
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धार्मिक नगरी, लाखों श्रद्धालु, शांत पहाड़ी इलाका और एक ऐसी कहानी जिसने पूरे कर्नाटक को हिला दिया है. धर्मस्थल जहां हर साल लाखों लोग मन्नतें मांगने आते हैं वहां अब 100 लाशों के दफन होने की गूंज सुनाई दे रही है.
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एक पूर्व सफाईकर्मी का कबूलनामा कि उसने दो दशकों तक वहां बलात्कार की शिकार महिलाओं, युवतियों और कुछ पुरुषों के शव दफनाए. सिर्फ एक सनसनी नहीं, बल्कि संस्थाओं, आस्थाओं और सिस्टम पर सवाल है.
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अब इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए कर्नाटक सरकार ने विशेष जांच टीम (SIT) बना दी है. इसकी जिम्मेदारी इस पूरे मामले की परतें उधेड़ने की है. लेकिन सवाल है कि क्या धर्मस्थल की चुप्पी अब टूटेगी? आखिर 100 शव दफनाए गए थे इसकी हकीकत क्या है? या फिर ये किसी गहरी साजिश का हिस्सा है. अब सबकी निगाहें SIT की जांच पर टिकी हैं.
कब और कैसे सामने आया यह मामला?
यह केस तब सामने आया जब एक मेडिकल छात्रा के लापता होने के मामले में जांच के दौरान पुलिस को एक मानव खोपड़ी मिली. इसी दौरान एक सफाईकर्मी खुद सामने आया और कहा कि वह 1995 से 2014 के बीच करीब 100 शव दफना चुका है.
धर्मस्थल की एक प्रतिष्ठित धार्मिक संस्था में काम कर चुके इस व्यक्ति ने 12 जुलाई को बेल्थांगडी तालुका के न्यायाधीश के सामने BNSS की धारा 183 (पूर्व की CrPC की धारा 164) के तहत विवरण दर्ज कराया. उसने दावा किया कि उसे पहले जान से मारने की धमकी दी गई थी इसलिए वह अब तक चुप रहा.
“मैं सब बताने को तैयार हूं, बस सुरक्षा चाहिए”..
शिकायतकर्ता ने पुलिस से स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह हर जगह की जानकारी देने और नाम उजागर करने को तैयार है लेकिन सुरक्षा की गारंटी चाहिए. उसने बताया कि कैसे उसके ऊपर दबाव बनाया गया, और किस तरह हर शव के साथ उसकी अंतरात्मा चीत्कार करती रही. अब अपराध-बोध से घिरा वह व्यक्ति कानूनी संरक्षण में सच उजागर करना चाहता है.
महिला आयोग, मीडिया और जनता का बढ़ता दबाव..
मामले ने तब और तूल पकड़ा जब कर्नाटक राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नागालक्ष्मी चौधरी ने सरकार को पत्र लिखा. उन्होंने न केवल मेडिकल छात्रा के परिजनों की गवाही का हवाला दिया बल्कि सफाईकर्मी के कोर्ट में दिए गए बयान को भी गंभीरता से लेने को कहा.
उन्होंने चेताया कि यह कोई इकलौती घटना नहीं, बल्कि एक निरंतर चले आ रहे पैटर्न की ओर इशारा कर रहा है. जहां युवतियों, छात्राओं और महिलाओं की गुमशुदगी और रहस्यमयी मौतें पिछले 20 सालों से दर्ज की जा रही हैं.
SIT को मिला केस, जांच की उम्मीदें और चुनौतियां..
राज्य सरकार ने 19 जुलाई को एक सरकारी आदेश (GO) जारी कर चार सदस्यीय SIT गठित की. इसकी अगुवाई प्रणव मोहंती (डीजीपी, आंतरिक सुरक्षा विभाग) करेंगे. SIT अब मामले की फॉरेंसिक जांच, गवाहों की सुरक्षा, पुरानी गुमशुदगी रिपोर्ट्स और डीएनए मिलान जैसे प्वाइंट पर काम करेगी. इस टीम में क्राइम इन्वेस्टिगेशन, साइबर फोरेंसिक और लीगल प्रोसीजर के विशेषज्ञ भी शामिल किए गए हैं.
क्या 100 लाशों की कहानी एक राजनीतिक भूचाल बनेगी?
राज्य के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा, “हमने जनता और महिला आयोग की चिंताओं को गंभीरता से लिया है. सरकार इस मामले में पारदर्शी जांच चाहती है. किसी को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.” हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ वकीलों ने भी अब इस मामले की न्यायिक निगरानी में जांच की मांग की है.
एक मां की उम्मीद: “अगर मेरी बेटी है, तो DNA जांच कीजिए”..
इस घटना के बाद एक महिला सामने आई हैं, जिनकी बेटी 22 साल पहले गायब हो गई थी. उनका कहना है कि अगर उन दफन लाशों में उनकी बेटी है, तो वह DNA जांच के लिए तैयार हैं. यह मामला अब सिर्फ एक जांच नहीं, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों की उम्मीद बन चुका है, जिन्होंने कभी अपनों को खोया और आज तक जवाब नहीं मिला.
Edited by k.s thakur...





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