भारतीय वायुसेना फिर बनी देवदूत, कॉन्फ्लिक्ट ज़ोन से सुरक्षित निकाल लाई भारतीयों को, पहले से ही IAF का प्लान था रेडी...
OPERATION SINDHU: भारतीय वायुसेना कॉन्फ्लिक्ट जोन में ऑपरेट करने में माहिर है. सिविल एयरक्राफ्ट के अलावा सरकार भारतीय वायुसेना का भी खूब इस्तेमाल करती है. इसके पीछे की वजह है कि पायलटों को वॉर जोन में उड़ान भरने में एक्सपर्ट होते हैं. जरा सी भी विंडो मिलती है तो उस बीच उड़ान को शुरू किया जाता है.
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ईरान और इजरायल की जारी जंग के बीच सैकड़ों भारतीय नागरिक फंसे हुए थे. कॉन्फ्लिक्ट जोन से भारतीयों को सकुशल बाहर निकालने के लिए सरकार ने ऑपरेशन सिंधु लॉन्च किया. पहले इस ऑपरेशन में सिविल एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया गया, फिर जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना को सौंपी गई.
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भारतीय वायुसेना के C-17 ग्लोबमास्टर को लॉन्च किया गया. एयरफोर्स ने अब तक कुल 431 भारतीयों को कॉन्फ्लिक्ट जोन से बाहर निकाला. भारतीय वायुसेना ने इसकी जानकारी दी. अपने बयान में एयरफोर्स ने कहा कि मिस्र और जॉर्डन से भारतीयों को एयरलिफ्ट कर के सकुशल भारत लाया गया.
पहले से ही तैयार था एयरफोर्स का प्लान
ईरान से भारतीयों को निकालने के लिए विदेश मंत्रालय ने ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत से पहले ही वायुसेना का एवैक्युएशन प्लान तैयार कर लिया था. इस तरह के इवैक्यूएशन में अगर सिविल एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन सामान्य होता है तो लोगों को उसी के जरिए निकाला जाता है.
ईरान से भारतीयों को निकालने के लिए विदेश मंत्रालय ने ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत से पहले ही वायुसेना का एवैक्युएशन प्लान तैयार कर लिया था. इस तरह के इवैक्यूएशन में अगर सिविल एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन सामान्य होता है तो लोगों को उसी के जरिए निकाला जाता है.
शुरुआत भी सिविल फ्लाइट के जरिए की गई. अगर हालात सामान्य नहीं होते तो भारतीय वायुसेना को बुलाया जाता है.इस बार भी वैसा ही किया गया. दुनिया में जब भी किसी कॉन्फ्लिक्ट या युद्ध के हालात होते हैं तो एयरफोर्स उसे मॉनिटर करती रहती है और अपने इवैक्यूएशन प्लान को तैयार रखती है.
इस बार भी वैसा ही हुआ. प्लान तैयार था, जैसे ही सरकार की तरफ से हरी झंडी मिली, एयरक्राफ्ट ने टेकऑफ कर लिया. प्लान पहले से ही तैयार था, इसलिए एयरक्राफ्ट लॉन्च करने या प्लान बनाने में समय बिल्कुल खराब नहीं हुआ.
कई सफल इवैक्यूएशन ऑपरेशन को दिया अंजाम
भारतीय वायुसेना की खासियत है कि वह कॉन्फ्लिक्ट जोन से सुरक्षित अपने नागरिकों को बाहर निकाल सकती है. पिछले कुछ बड़े इवैक्यूएशन ऑपरेशन की बात करें तो साल 2006 में इजरायल-लेबनान जंग के दौरान ऑपरेशन सूकून चलाया गया था, जिसमें 2,280 भारतीयों को सुरक्षित वतन वापस लाया गया था.
भारतीय वायुसेना की खासियत है कि वह कॉन्फ्लिक्ट जोन से सुरक्षित अपने नागरिकों को बाहर निकाल सकती है. पिछले कुछ बड़े इवैक्यूएशन ऑपरेशन की बात करें तो साल 2006 में इजरायल-लेबनान जंग के दौरान ऑपरेशन सूकून चलाया गया था, जिसमें 2,280 भारतीयों को सुरक्षित वतन वापस लाया गया था.
साल 2015 में यमन में जंग के दौरान सना एयरपोर्ट से भारतीयों को जिबूती लाया गया और फिर C-17 के जरिए भारत. साल 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के दौरान सरकार ने ऑपरेशन देवी शक्ति चलाया था, जिसमें 800 भारतीयों की वतन वापसी कराई गई थी.
2022 में यूक्रेन युद्ध के दौरान ऑपरेशन गंगा लॉन्च किया गया था, जिसमें 18,000 के करीब भारतीयों को यूक्रेन और पड़ोसी देशों से रेस्क्यू किया गया था. साल 2023 में सूडान में संघर्ष के दौरान सरकार ने ऑपरेशन कावेरी लॉन्च किया था, जिसमें भारतीय वायुसेना ने 3,900 भारतीयों को सुरक्षित घर वापस लाया था. इसके अलावा दर्जनों ऑपरेशन राहत बचाव के लिए सरकार की तरफ से चलाए गए हैं. इसमें भारतीय वायुसेना की अहम भूमिका रही है.
Edited by k.s thakur...




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