Akshaya Tritiya Importance: वृंदावन में केवल अक्षय तृतीया के दिन श्री बांके बिहारी जी के चरण कमलों के होते हैं दर्शन… जानिए पौराणिक कथा...

Akshaya Tritiya Importance: वृंदावन में केवल अक्षय तृतीया के दिन श्री बांके बिहारी जी के चरण कमलों के होते हैं दर्शन… जानिए पौराणिक कथा...


आचार्य नारायण दास (Akshaya Tritiya Importance)। पौराणिक तथ्यों के अनुसार, सतयुग और त्रेतायुग का शुभारंभ अक्षय तृतीया के दिन से हुआ है। सृष्टि के अभिवर्धन और अभिरक्षण हेतु जगन्नियन्ता श्रीहरि ने नर-नारायण के रूप में चौथा अवतार लिया, उस दिन भी वैशाख मास की तृतीया ही थी।

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इस अवतार में ऋषि के रूप में मन-इंद्रियों का संयम करते हुए बड़ी ही कठिन तपस्या की। इस अवतार के माध्यम से भगवान ने लोक को शिक्षा दी कि तप के द्वारा मनुष्य जीवन और प्रकृति के रहस्यों को समझकर लोकहितकारी कार्यों का संपादन करता और करवाता है

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सिर्फ अक्षय तृतीया के दिन श्री बांके बिहारी जी के चरण कमलों का दर्शन..

मान्यता है कि वृंदावन में संगीत सम्राट और भगवद्भक्त स्वामी हरिदास जी ने अक्षय तृतीया के दिन भगवान बांके बिहारी जी के प्राचीन काष्ठ के विग्रह को प्राप्त किया और उनकी प्रतिष्ठा की। इसलिए केवल अक्षय तृतीया के दिन ही श्री बांके बिहारी जी के चरण कमलों का दर्शन सुलभ होता है। अन्य दिनों में उनका विग्रह ढका रहता है।

अक्षय तृतीया पर क्यों खोले जाते हैं श्री बदरीनाथ धाम के कपाट..

  • श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, परमेश्वर श्री हरि ने अक्षय तृतीया को हयग्रीव अवतार लेकर वेदों की रक्षा की। निरंकुश हो गई राजसत्ता को सद्गति-मति देने के लिए भगवान परशुराम जी के रूप में अवतार लिया।
  • वहीं, आदिगुरु शंकराचार्य ने अक्षय तृतीया को ही भगवान के श्रीविग्रह की श्री बदरीनाथ जी के श्रीविग्रह के रूप में प्रतिष्ठा की, इसलिए अक्षय तृतीया तिथि को ही श्री बदरीनाथ धाम के मंदिर के कपाट जन-सामान्य के दर्शन-पूजनार्थ खोल दिए जाते हैं।
  • कौरव-पांडव के मध्य जो धर्म-अधर्म को लेकर महायुद्ध हुआ, उसका विराम अक्षय तृतीया को ही हुआ तथा द्वापर युग का समापन भी इसी तिथि को हुआ। दो ग्रंथों, धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु के अनुसार, इस दिन से जिस कार्य का शुभारंभ किया जाता है, वह सिद्ध और अक्षय हो जाता है। इसलिए इस दिन लोग दर्शन, स्नान, दान का पुण्यलाभ प्राप्त करते हैं।
(आचार्य नारायण दास श्रीमद्भागवत महापुराण मर्मज्ञ एवं आध्यात्मिक गुरु हैं।)





Edited by k.s thakur...

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