ब्रिटिश संसद में गूंजा जलियांवाला बाग कांड, MP बोले- भारत से माफी मांगो...अपने मुल्क में क्यों घिरे स्टार्मर?
Jallianwala Bagh Mascare History: अमृतसर का जलियांवाला बाग नरसंहार कांड तो आपको और हमें अच्छे से याद ही है. ब्रिटिश हुकूमत के जनरल डायर के एक इशारे पर निहत्थे लोगों पर गोलियां चला दी गई थी, जिसमें 1,500 निर्दोष लोगों की मौत हो गई जबकि 1,200 से ज्यादा लोग घायल हो गए. साल 1919 में हुई इस घटना के 106 साल बाद अब यह मामला ब्रिटिश संसद में गूंजा है.
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कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन (हैरो ईस्ट) ने गुरुवार देर रात ब्रिटिश संसद में जलियांवाला बाग नरसंहार का मुद्दा उठाते हुए अपनी ही सरकार से इसपर भारत के लोगों से औपचारिक माफी की मांग की. इस घटना को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के सबसे काले अध्यायों में से एक माना जाता है.
सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में बोलते हुए कहा, “13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में परिवार अपने दिन का आनंद लेने के लिए शांतिपूर्वक एकत्र हुए थे. लेकिन जनरल डायर ने ब्रिटिश सेना को निर्दोष लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया.
जब तक कि उनकी गोलियां खत्म नहीं हो गईं, तबतक निहत्थे लोगों पर हमले किए गए. इस नरसंहार में 1,500 लोग मारे गए और 1,200 घायल हुए.” उन्होंने इसे ब्रिटिश साम्राज्य पर एक “धब्बा” करार दिया और कहा कि 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने इस घटना को स्वीकार किया था, लेकिन कोई औपचारिक माफी नहीं दी गई.
आ रही जलियांवाला बाग कांड की 106वीं बरसी..
सांसद ने अपनी सरकार से अपील की कि 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग नरसंहार कांड की बरसी से पहले एक बयान जारी कर ब्रिटिश सरकार द्वारा गलती स्वीकार की जाए और भारत के लोगों से माफी मांगी जाए.
ब्लैकमैन ने कहा, “इस साल 13 अप्रैल को संसद अवकाश पर होगी, इसलिए सरकार को पहले ही इस पर बयान देना चाहिए.” इस प्रस्ताव पर एक अन्य सांसद ने बॉब ब्लैकमैन की इस पहल की सराहना की और जलियांवाला बाग नरसंहार को “ब्रिटिश औपनिवेशिक इतिहास का सबसे कुख्यात और शर्मनाक एपिसोड” बताया और कहा, “मैं विदेश मंत्रालय के मंत्रियों तक यह सवाल पहुंचाऊंगी और सुझाव दूंगी कि बरसी से पहले एक बयान जारी किया जाए.”
आजादी की लड़ाई की सबसे दुखद घटना..
जलियांवाला बाग नरसंहार भारत की आजादी की लड़ाई की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है. 13 अप्रैल, 1919 को पंजाब के अमृतसर में जनरल माइकल ओ’डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने शांतिपूर्ण सभा में शामिल लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं. घटनास्थल पर आज भी दीवार पर गोलियों के निशान और एक कुआं संरक्षित है, जिसमें लोग जान बचाने के लिए कूद गए थे.
Edited by k.s thakur...



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