स्वामीनारायण मंदिर के दो सौ साल हुए पूरे, 200 रुपये का चांदी का सिक्का जारी; PM बोले- यह प्रतीक चिन्ह आने वाली पीढ़ियां रखेंगी याद...
नई दिल्ली। वड़ताल के स्वर्ण मंदिर के देवालय में विराजित श्री लक्ष्मीनारायण देव के आशीर्वाद से द्विशताब्दी महोत्सवके अवसर पर भारत सरकार ने 200 रुपये का शुद्ध चांदी का सिक्का जारी किया। अब भारत सरकार के चांदी के सिक्के पर वड़ताल का स्वर्ण मंदिर है।
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इसको लेकर पीएम मोदी ने अपने विचार व्यक्त किए हैं, पीएम ने कहा, यह प्रतीक चिह्न आने वाली पीढ़ियों के मन में इस महान अवसर की स्मृति को जीवित रखेगा। पीएम ने आगे कहा, "मैं दिल से आपके बीच ही हूं, मैं मन से पूरी तरह से वड़ताल धाम में ही हूं। वड़ताल धाम आज मानवता की सेवा और युग निर्माण का आधार बन चुका है।''
चांदी का 200 रुपये का सिक्का जारी..
श्री स्वामिनारायण संप्रदाय की राजधानी और शिक्षापत्रिका जन्म स्थान तीर्थराज वड़ताल धाम में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण देव द्विशताब्दी महोत्सव के अवसर पर भारत सरकार ने शुद्ध चांदी का 200 रुपये का सिक्का जारी किया। जिस पर २०० साल पहले बना वड़ताल मंदिर की आकृति है ।
'स्वामिनारायण संप्रदाय के लिए ऐतिहासिक क्षण है'..
जिसका लोकार्पण आचार्य महाराज श्री राकेश प्रसादजी ने आज राजकीय महानुभावों और संतों की उपस्थिति में किया। इस अवसर पर मुख्य कोठारी पूज्य संतवल्लभ स्वामी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इस क्षण का स्वागत किया और बताया की यह क्षण पूरे स्वामिनारायण संप्रदाय के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि भगवान श्री स्वामीनारायण द्वारा स्वनिर्मित किसी भी मंदिर की आकृति के साथ चलन में लाया गया यह पहला सिक्का है और विश्वभर में फैले स्वामिनारायण संप्रदाय के लिए यह गौरवपूर्ण क्षण है।
स्वामीजी ने नर्मला सीतारामण का आभार व्यक्त किया..
ऐसा लग रहा है कि आज भारत सरकार ने चांदी से विश्वभरमें बसे श्री स्वामीनारायण संप्रदायके अनुयायियो का और उनके आचार विचार और राष्ट्र के प्रति समर्पणका अभिनंदन किया है ! इस अवसर पर आचार्य महाराज ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी का हृदयपूर्वक आभार व्यक्त किया। कोठारी श्री संतवल्लभ स्वामीजी ने इस अवसर पर देश की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामणजी का भी विशेष आभार व्यक्त किया।
द्विशताब्दी महोत्सव में इस सिक्के के विमोचन के अवसर पर टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट एवं अपीलीय ट्रिब्यूनल के चेयरमैन और दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री बी. एन. पटेल भी खास उपस्थित रहे । प्रधानमंत्री जी महोत्सव में आए और ऑन लाइन सुन रहे संप्रदाय के लाखों सत्संगीजनों को कहा, "जय स्वामिनारायण। भगवान स्वामिनारायण के चरणों में प्रणाम करता हूँ। वड़ताल धाम में द्विशताब्दी महोत्सव का भव्य आयोजन हो रहा है। यहाँ देश-विदेश से हरिभक्त आए हैं।
'सेवा कार्यों में सत्संग समाज का अहम योगदान'..
स्वामिनारायण की परंपरा रही है कि सेवा के बिना उनका कोई कार्य आगे नहीं बढ़ता। महोत्सव में भी उत्सव के साथ सेवा कार्यों में सत्संग समाज अपना योगदान दे रहा हैं। मैंने पिछले कुछ दिनों में टीवी पर इस महोत्सव की तस्वीरें देखीं और मीडिया-सोशल मीडिया में वीडियो देखकर मेरी खुशी कई गुना बढ़ गई है।
वड़ताल धाम की स्थापना के 200 वर्ष पूरे होने पर यह आयोजन सिर्फ इतिहास की तारीख नहीं है, यह मेरे जैसे हर उस व्यक्ति के लिए एक बड़ा अवसर है जो वड़ताल धाम से आस्था के साथ जुड़ा है। मेरे लिए यह अवसर भारतीय संस्कृति की शाश्वत प्रवाहों का प्रमाण है।"
उन्होंने आगे बताया कि 200 वर्ष पहले वड़ताल धाम के मंदिर में श्री लक्ष्मीनारायण देवकी स्थापना भगवान श्री स्वामिनारायण ने की थी। आज भी इसकी आध्यात्मिक चेतना को जागृत रखा गया है। आज भी यहाँ तीर्थयात्री भगवान स्वामिनारायण की शिक्षा और ऊर्जा को अनुभव कर सकते हैं। मैं हर संत के चरणों में प्रणाम करके और हर देशवासी को द्विशताब्दी महोत्सव की शुभकामनाएँ देता हूँ।
'एक स्मारक डाक टिकट जारी किया'..
पीएम मोदी ने आगे कहा, मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने इस अवसर पर 200 रुपये का चांदी का सिक्का और एक स्मारक डाक टिकट जारी किया है। यह प्रतीक चिह्न आने वाली पीढ़ियों के मन में इस महान अवसर की स्मृति को जीवित रखेगा। भगवान स्वामिनारायण से जुड़े हर व्यक्ति को पता है कि इस परंपरा से मेरा संबंध कितना पुराना है। मेरी इच्छा थी कि आपके साथ बैठकर पुरानी बातें करूँ, लेकिन जिम्मेदारी और व्यस्तता के कारण यह संभव नहीं हो सका। मैं दिल से आपके बीच ही हूँ, मेरा मन इस समय पूरी तरह से वड़ताल धाम में ही है।
प्रधानमंत्री ने वड़ताल के बारे में बात करते हुए कहा कि समाज में "शिक्षापत्री" का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षापत्री को आत्मसात करना और उसी दिशा में आगे बढ़ना हमारा कर्तव्य है। वड़ताल धाम आज इसी प्रेरणा से मानवता की सेवा और युग निर्माण का आधार बन चुका है। वड़ताल धाम ने हमें वंचित समाज से सगरामजी जैसे भक्त दिए हैं। यहाँ कई बच्चों के भोजन, आवास और आदिवासी क्षेत्रों में सेवा कार्य चल रहे हैं। बेटियों की शिक्षा के अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
अंत में उन्होंने कहा कि वड़ताल में स्वामिनारायण की प्रसादिक वस्तुओं का एक संग्रहालय है। यह संग्रहालय कम समय में चीजों का परिचय कराता है। मुझे विश्वास है कि भारत की आस्था का यह अमर मंदिर बनेगा और इस प्रयास से विकसित भारत का उद्देश्य पूरा होगा। मैं फिर से यहाँ नहीं आ सका, इसके लिए माफी चाहता हूँ।
कैसे आया सिक्का बनाने का विचार?
वड़ताल मंदिर के मुख्य कोठारी डॉ. संतवल्लभ स्वामी ने बताया कि स्वामिनारायण वड़ताल संस्था जब 200 वर्षों का उत्सव मना रही थी तो इसकी जानकारी हमने केंद्र और राज्य सरकार को दी थी। उनके विभिन्न विभागों द्वारा एक ऐतिहासिक स्मृति के रूप में क्या हो सकता है, इसका विचार किया गया और हमारे बुजुर्गों द्वारा यह निर्णय किया गया कि शुद्ध चांदी का 200 रुपये का सिक्का बनवाया जाए।
इसके बाद हमारे स्नेही स्थानिक विधायक श्री पंकज भाई देसाई और सांसद श्री देवुसिंह चौहान ने विशेष तार-डाक, संचालन मंत्री होने के समय हमारी गोष्ठी की और उन्होंने कहा था कि हम पूरी मेहनत करेंगे।
'पीएम मोदी को मानते हैं आभार'..
इस प्रकार से पेपरवर्क शुरू हुआ, जिसमें कई विभाग मददगार बने और विधिवत रूप से चलन में लाने हेतु केंद्र सरकार द्वारा इस सिक्के को जारी किया गया। हम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आभार मानते हैं कि उनके द्वारा यह शुद्ध चांदी का 200 रुपये का सिक्का जारी किया गया। इस सिक्के पर एक तरफ भारत का राज चिह्न और दूसरी तरफ वड़ताल मंदिर की आकृति है। इससे सत्संगियों में गौरव की अनुभूति होती है। वड़ताल के सभी हरिभक्तों, संतों और आचार्यश्री ने अभिनंदन किया।
Edited by k.s thakur...



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