कोरियर ब्वॉय से बना कुख्यात उग्रवादी:12 हत्याओं के आरोपी 25 लाख के नक्सली विमल ने हथियार डाले..
छत्तीसगढ़-झारखंड पुलिस के नक्सल विरोधी अभियान के सामने कुख्यात उग्रवादी विमल ने हथियार डाल दिए। 25 लाख के इनामी माओवादियों का स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य विमल यादव उर्फ उमेश यादव उर्फ राधेश्याम ने शुक्रवार को झारखंड पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। विमल पर सामरी थाना सहित झारखंड व बिहार में दर्जनभर हत्याओं, हमला व आगजनी के कई मामले दर्ज है।
विमल यादव मूल रूप से बिहार के जहानाबाद का रहने वाला है। विमल 1993 में नक्सल संगठन से जुड़ा था। दस्ते में कोरियर बॉय के रूप में अपने काम की शुरूआत की। देखते ही देखते वह कुख्यात नक्सली बन गया। बलरामपुर जिले के सामरी थाना अंतर्गत ही लेवी वसूली के लिए बाक्साइट माइंसो में आगजनी सहित मारपीट के कई मामले दर्ज है।
बूढ़ा पहाड़ में था इसका दबदबा
मूलत: रूप से सलेमपुर थाना के करौना जिला जहानाबाद बिहार का रहने वाला विमल यादव नक्सली संगठन के नेता अरविंद के साथ संगठन में शामिल हुआ था। वर्तमान में माओवादियों के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ के इलाके में विमल का बड़ा खौफ कायम हो गया था। यह उग्रवादी वर्ष 2005 में सब जोनल कमांडर बना।
2009 में जोनल कमांडर बना। 2011 में रीजनल सदस्य बना। 2014 में एसएसी सदस्य बना। दिसंबर 2018 में प्लाटून ईआरबी बना। 2019 में सुधाकरण के जाने के बाद प्लाटून का चार्ज लिया। उमेश यादव के घर का नाम राधेश्याम यादव था। जब संगठन से जुड़ा तो विमल यादव नाम दिया गया।
नक्सलियों के खिलाफ लगातार हो रही है कार्रवाई
बलरामपुर एसपी रामकृष्ण साहू ने बताया की नक्सली विमल के आत्म समर्पण की उन्हें कोई जानकारी नही है। राज्य को पूरी तरह नक्सल मुक्त करने के लिए ही राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति प्रभावी है। नक्सलियों के आत्मसमर्पण से उनका भी भविष्य सुरक्षित होगा और देश व प्रदेश का विकास होगा। उन्होंने नक्सलियों को आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाकर मुख्य धारा से जुड़ें।
कहा- दिशा से भटक चुका है नक्सली संगठन
विमल 1993 में वह इंटर का छात्र था तभी चचेरे भाई रामबालक प्रसाद यादव एवं बेचन यादव के साथ जमीन विवाद हुआ। इस वजह से वह मजदूर किसान संग्राम समिति में काम करने लगा। धीरे-धीरे वह उग्रवादियों के करीब होता चला गया। आत्मसमर्पण करने के बाद विमल ने बताया कि संगठन लक्ष्य से भटक गया है। वह अपनी पारिवारिक परेशानियों के कारण सिद्धांतों से प्रभावित होकर संगठन से जुड़ा लेकिन यह संगठन अपनी दिशा से भटक गया। वर्तमान में भाकपा माओवादी शोषण करने वाली और लेवी वसूलने वाली पार्टी हो गई है।
(Courtesy : D.B)
Edited by k.s thakur..

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