Next CJI : आर्टिकल 370 से वन रैंक वन पेंशन तक...जानिए अगले CJI जस्टिस सूर्यकांत के 5 ऐतिहासिक फैसले...
New delhi : जस्टिस सूर्यकांत हिसार की जिला अदालत में वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर सुप्रीम कोर्ट तक का सफर तय किया है. अब नवंब 2025 में वे CJI बनेंगे. उन्होंने कई बड़े फैसले दिए हैं.
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हरियाणा के हिसार से निकलकर देश की सर्वोच्च अदालततक पहुंचने वाले जस्टिस सूर्यकांत की कहानी काफी प्रेरणादायक है. साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी मेहनत, ईमानदारी और न्याय के प्रति जुनून से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर तय किया.
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अब वे 24 नवंबर 2025 को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनेंगे और फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे. मौजूदा सीजेआई जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. उनके बाद जस्टिस सूर्यकांत देश की सबसे बड़ी अदालत की कमान संभालेंगे.
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जस्टिस सूर्यकांत ने 1984 में हिसार जिला अदालत से वकालत की शुरुआत की. वे 1985 से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे थे. उन्होंने संवैधानिक, सिविल और सर्विस मामलों में विशेषज्ञता हासिल की और कई विश्वविद्यालयों, बोर्डों और बैंकों के लिए कानूनी सलाहकार के रूप में कार्य किया.
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PM सुरक्षा में चूक – न्यायिक जांच समिति:वे उस बेंच में शामिल थे जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2022 पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय समिति गठित की.
वकालत में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण उन्हें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का एडवोकेट जनरल बनाया गया. साल 2004 में उन्हें जज नियुक्त किया गया और आगे चलकर वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने.
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जस्टिस सूर्यकांत के 5 बड़े फैसले..
अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले में भूमिका:
जस्टिस सूर्यकांत दिसंबर 2023 के उस संविधान पीठ का हिस्सा रहे, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को सही ठहराया.
जस्टिस सूर्यकांत दिसंबर 2023 के उस संविधान पीठ का हिस्सा रहे, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को सही ठहराया.
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PM सुरक्षा में चूक – न्यायिक जांच समिति:वे उस बेंच में शामिल थे जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2022 पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय समिति गठित की.
OROP योजना वैध:उन्होंने सशस्त्र बलों के लिए वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना को संविधानसम्मत बताया. साथ ही वे महिला अधिकारीयों को स्थायी कमीशन में समान अवसर देने की याचिकाओं पर सुनवाई करते रहे हैं.
AMU के अल्पसंख्यक दर्जे पर बड़ा फैसला:जस्टिस सूर्यकांत सात जजों की उस बेंच का हिस्सा थे जिसने 1967 के फैसले को पलटते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मुद्दे पर पुनर्विचार का मार्ग साफ किया.
पेगासस जासूसी मामले की जांच:पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में भी वे शामिल रहे, जिसने साइबर विशेषज्ञ समिति गठित की और कहा कि ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर राज्य को मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती.
Edited by k.s thakur...








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